vaibhav laxmi vrat vidhi in hindi वैभव लक्ष्मी व्रत कथा, पूजा विधि, नियम, भोजन, उद्यापन विधि

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Vaibhav laxmi vrat vidhi in hindi :- हिन्दू धर्म में शुक्रवार का दिन लक्ष्मी माता, संतोषी और दुर्गा माता को समर्पित किया गया है। लक्ष्मी माता का शुक्रवार का व्रत वैभव लक्ष्मी का व्रत कहलाता है। मान्यता है की शुक्रवार के दिन लक्ष्मी माता का व्रत पूरी श्रद्धा से करने से जातक में घर में धन, ऐश्वर्य और वैभव आता है। वैभव लक्ष्मी का व्रत स्त्री पुरुष कोई भी कर सकता है। इस लेख में हम जानेंगे की वैभव लक्ष्मी व्रत की पूजा विधि क्या है ? साथ ही हम इस व्रत के नियम, व्रत के लाभ और यह भी जानेंगे की वैभव लक्ष्मी व्रत में क्या खाएं और क्या ना खाएं।

Table of Contents

वैभव लक्ष्मी व्रत के नियम

माना जाता है की किसी व्रत का पूर्ण पुण्य तभी मिलता है जब उस व्रत से जुड़े सभी नियमों का पालन किया जाए। जिस दिन व्रत करें उस दिन मन में अच्छे और सात्विक विचार रखें। किसी की नींदा ना करें और द्वेष भाव ना रखें। शुक्रवार के वैभव लक्ष्मी के व्रत में भोजन, पूजा और आचरण से सम्बन्धित निम्न नियमों का यथासंभव पालन करें।

वैभव लक्ष्मी व्रत किस महीने में उठाया जाता है

वैभव लक्ष्मी का व्रत शुक्रवार को रखा जाता है। किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार से इस व्रत की शुरुवात करना शुभ और फलदायक माना जाता है।

वैभव लक्ष्मी के कितने व्रत रखने चाहिए

वैभव लक्ष्मी के व्रत 11 या 21 की संख्या में रखे जाते हैं। जिस शुक्रवार से अपने व्रत रखना शुरू किया है उसके बाद लगातार 11 या 21 शुक्रवार तक माता लक्ष्मी के व्रत पूर्ण श्रद्धा भाव से रखें।

वैभव लक्ष्मी के व्रत में क्या नहीं करना चाहिए?

शुक्रवार के माता लक्ष्मी के व्रत में हमें निम्न कार्य कभी नहीं करने चाहिए।

  • वैभव लक्ष्मी का व्रत किसी के दबाव या बेमन से कभी नहीं करना चाहिए। कोई भी व्रत का फल तभी मिलता है जब जातक उसे सचहे मन और श्रद्धा भाव से करता है।
  • व्रत के दिन सात्विक दिनचर्या रखें। माँस, मदिरा और अन्य दुराचार से दूर रहें। अपने मन, क्रम और वचन किसी से भी किसी का बुरा ना सोचें।
  • व्रत के दिन किसी की निंदा ना करें और ना ही मुह से अपशब्द बोलें। नकारात्मक विचार मन में ना लाएं, पूरे दिन सात्विक भाव रखें और माता के नाम का जाप करते रहें।
  • इस दिन नमक, लहसून और प्याज का सेवन ना करें।
  • सामान्यतया किसी भी व्रत में आपको दिन में नहीं सोना चाहिए। यही नियम वैभव लक्ष्मी व्रत पर भी लागू होता है।

वैभव लक्ष्मी व्रत कथा पुस्तक

वैभव लक्ष्मी माता की व्रत कथा ।

वैभव लक्ष्मी व्रत करने की विधि | vaibhav laxmi vrat vidhi in hindi

वैभव लक्ष्मी का व्रत करने से पहले हमें यह जानना बहुत जरूरी है की वैभव लक्ष्मी की पूजा कितने बजे होती है, व्रत की सामग्री क्या क्या है , और लक्ष्मी माता की पूजा की सही विधि क्या है । किसी भी व्रत का पूर्ण पुण्य तभी मिलता है जब हम उस व्रत को पूरी विधि विधान से करें और सही से उसका उद्यापन करें।

वैभव लक्ष्मी की पूजा कितने बजे होती है?

वैभव लक्ष्मी व्रत में शाम को माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है माता लक्ष्मी की पूजा सूर्यास्त से पहले पूर्ण हो जानी चाहिए इसलिए शाम को 4 बजे के बाद पूजा आरंभ करें और सूर्यास्त से पहले पूजा पूर्ण कर लें।

वैभव लक्ष्मी व्रत की सामग्री

  • प्रतिमा / फोटो :- वैभव लक्ष्मी माता और गणेश जी की मूर्ति या फोटो।
  • आरती का समान :- कुमकुम, अक्षत, मौली ,धूप, दीपक, अगरबती,इत्र, कपूर,घी।
  • भोग :- लक्ष्मी माता को सफेद चीजों का भोग लगाया जाता है। इसलिए भोग के लिए खीर बनाएं। खीर नहीं बना पाए तो सफेद मिश्री या चीनी का भोग लगा सकते है। साथ में कोई ऋतुफल भी भोग लगाए।
  • सोने का गहना :- माता लक्ष्मी की पूजा में सोने की आभूषण की पूजा की जाती है इसलिए अपना कोई भी एक गहना पूजा हेतु थाली में जरूर लें।
  • पुष्प :- लक्ष्मी माता को लाल फूल प्रिय हैं इसलिए पूजा में लाल पुष्प अवश्य लें। अगर कमल का फूल उपलब्ध है तो जरूर लें।
  • श्रीयंत्र :- अगर आपके पास श्रीयंत्र नहीं है तो कोई बात नहीं वैभव लक्ष्मी व्रत कथा पुस्तक के पीछे भी श्रीयंत्र बना होता है आप उसकी पूजा कर सकते हैं।
  • कथा पुस्तक :- वैभव लक्ष्मी व्रत कथा पुस्तक।
  • दूर्वा घास :- गणेश जी को अर्पित करने के लिए दूर्वा घास।


वैभव लक्ष्मी व्रत की पूजा विधि

वैभव लक्ष्मी के व्रत में शाम को सूर्यास्त से पहले लगभग 4 बजे बाद माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पूजा करते समय निम्न चरणों का पालन करते हुवे पूजा करें।

  • मंत्र का जप :- पूजा के दौरान जय वैभव लक्ष्मी माता का जप करते रहें। इसके अलावा अगर आपको कोई अन्य मंत्र भी आता है तो उसका भी जाप कर सकते हैं।
  • चौकी स्थापना :- लकड़ी की चौकी लेकर उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाए। अब इस पर माता लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति /फोटो की स्थापना करें।
  • कलश स्थापना :- मूर्ति के दाईं और थोड़े चावल रखकर उस पर जल से भरे कलश की स्थापना करें। कलश पर कलावा या मौली बांध लें और कलश पर स्वास्तिक बना लें। कलश में थोड़े अक्षत और फूल डाल लें। कलश पर कटोरी रखकर उसमें अपना सोने का आभूषण रख दें। चौकी पर वैभव लक्ष्मी व्रत कथा पुस्तक भी रख दें।
  • दीपक प्रज्वलन :- किसी भी पूजा में सबसे पहले दीपक जलाया जाता है। पूजा के दौरान हमारा दीपक निरंतर जलता रहता है जो इस बात का प्रतीक है की हमारी पूजा निर्विघ्न सम्पन्न हो गई है। धूप और अगरबती करें।
  • आचमन :- आचमन यानि शुद्धिकरण के लिए हम पुष्प से शुद्ध जल के छींटे देकर माता लक्ष्मी ,गणेश जी, पूजा सामग्री और स्वंय को शुद्ध करेंगे।
  • माता लक्ष्मी और गणेश जी का तिलक :- माता लक्ष्मी और गणेश जी को कुमकुम, हल्दी का तिलक करें और अक्षत लगाएं। इसी तरह अपने गहने और वैभव लक्ष्मी व्रत कथा पुस्तक में जितनी भी माता लक्ष्मी के स्वरूप ( अष्टलक्ष्मी ) की फोटो हैं उन्हे भी कुमकुम हल्दी और अक्षत लगाएं। माता लक्ष्मी को लाल पुष्प / कमल का पुष्प अर्पित करें उन्हे इत्र लगाए। श्रीयंत्र की पूजा भी साथ साथ इसी तरह करते रहें।
  • व्रत कथा :- हाथ में अक्षत और फूल लेकर वैभव लक्ष्मी व्रत कथा पढ़ें। यह कथा आप पुस्तक या mobile कही से भी पढ़ सकते हैं।
  • भोग :- अब लक्ष्मी माता को खीर/ सफेद चीनी मिश्री या अन्य कोई सफेद मिठाई और ऋतुफल का भोग लगाए। गणेश जी को मोदक, मौली, दूर्वा घास आदि अर्पित करें। जो भोग आपने माता लक्ष्मी को लगाया है उसे आप पूजा पूर्ण होने के बाद खा सकते हैं।
  • आरती :- आरती करने के लिए सबसे पहले आरती की थाली में स्वास्तिक बनाएं। अब थाली में दीपक, पुष्प, अक्षत, कपूर आदि पूजा का सामान रख लें। अब सबसे पहले गणेश जी की आरती करें और फिर नीचे दी गई वैभव लक्ष्मी माता की आरती करें। दीपक में कपूर जलाकर माता की कपूर आरती भी करें।
  • मनोकामना और आशीर्वाद :- आरती पूरी होने के बाद माता लक्ष्मी का आशीर्वाद लें और अपनी मनोकामना मांगे। माता लक्ष्मी से पूजा के दौरान अगर कोई गलती हो गई है तो क्षमा मांगे और प्रणाम करें।


वैभव लक्ष्मी माता की आरती

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥

वैभव लक्ष्मी व्रत का भोजन

अगर आप शारीरिक रूप से सक्षम है तो शुक्रवार के वैभव लक्ष्मी व्रत को आप पूर्ण फलाहार से करें। अगर आप बीमार है जिससे पूरे दिन भूखे नहीं रह सकते, दवा आदि लेनी है तो तो शाम को लक्ष्मी माता की पूजा के बाद एक बार भोजन ले सकते हैं। इसके अलावा दिन में अनाज का सेवन नहीं किया जाता है। दिन में फलाहार आदि का सेवन किया जाता है। लेकिन कभी कभी जातक अज्ञानता के कारण ऐसा कुछ खा लेता है की जिससे उसका व्रत टूट जाता है और मनोवांछित फल नहीं मिल पता है। तो आइए जानते है की वैभव लक्ष्मी व्रत में क्या खाएं ?

वैभव लक्ष्मी व्रत में क्या खाएं

तो आइए जानते है शुक्रवार के पूरे दिन में खान पान की आपकी दिनचर्या कैसी होनी चाहिए।

  • दूध/ चाय / कॉफी :- दिन की शुरुवात आप दूध/ चाय या कॉफी आदि से कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहें व्रत में ज्यादा चाय कॉफी पीने से परहेज करें। क्यूंकी व्रत में हम पूरे दिन खाली पेट होते हैं इसलिए ज्यादा चाय पीने से acidity हो सकती है।
  • फलाहार :- किसी भी व्रत में फलों का विशेष महत्व होता है। फल खाने से हमारे शरीर की पानी की पूर्ति भी होती है और फल जल्दी digest होकर हमने आवश्यक ऊर्जा भी देते हैं। इसलिए माता लक्ष्मी के व्रत में दिन में फलाहार जरूर करें। मौसम के अनुसार आप सारे ऋतुफल खा सकते हैं। व्रत में मीठे फलों का चयन करें। खट्टे फल ना खाएं तो अच्छा है।
  • नारियल पानी और कच्चा नारियल :- नारियल पानी पीने से आपकी body dehydrate नहीं होगी और आपको पर्याप्त ऊर्जा भी मिलती रहेगी। कच्चा नारियल भी व्रत में ऊर्जा का अच्छा स्रोत है।
  • साबूदाना,आलू, मखाने और मूंगफली :- दिन में भूख लगे तो फलाहार के साथ साबूदाना, मखाने और मूंगफली भी आप खा सकते हैं। साबूदाने को आप खिचड़ी या खीर कैसे भी बना कर खा सकते है। व्रत में साबूदाना और मूंगफली मिलकर भी आप खाये। आलू उबाल के भी आप दिन में खा सकते हैं।
  • घर के बने मीठे पकवान :- शाम को आप भोजन में अन्न ले सकते हैं। व्रत में बाजार से लाकर कोई भी मिठाई आदि खाने से बचे क्यूंकी उसकी शुद्धता की कोई गारंटी नहीं होती है। इसलिए घर में ही मीठे पकवान जैसे सिंघाड़े के आटे का हलवा, खीर,पूड़ी आदि खाएं ।

वैभव लक्ष्मी के व्रत में क्या नहीं खाना चाहिए

वैभव लक्ष्मी व्रत में साधारण और सात्विक भोजन किया जाता है। ज्यादा तला भुना और मसालेदार भोजन नहीं करना चाहिए। इस व्रत में सफेद नमक, लहसून, प्याज और तेल का सेवन नहीं किया जाता है। शाम को तेल की बजाय घी में भोजन बनाना चाहिए।

क्या वैभव लक्ष्मी व्रत में नमक खा सकते हैं?

हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है की सफेद नमक का सेवन करने से व्रत टूट जाता है। सफेद नमक, नमक का शुद्ध और प्राकर्तिक रूप नहीं है क्यूंकी सफेद नमक समुन्द्र से निकालने के बाद बहुत सी रासायनिक processes से गुजरता है। अगर आप किसी बीमारी के कारण नमक का सेवन करना जरूरी है तो सेंधा नमक आप व्रत में उपयोग ले सकते हैं क्यूंकी यह शुद्ध नमक होता है। यह नमक प्रकृति में नदियों, झीलों पहाड़ों आदि पर पत्थर के रूप में पाया जाता है और हम उसी रूप में इसका उपयोग करते है।

क्या वैभव लक्ष्मी व्रत में प्याज खा सकते हैं?

वैभव लक्ष्मी के व्रत में दिन में फलाहार किया जाता है और शाम को माता लक्ष्मी की पूजा करने के बाद एक समय भोजन किया जाता है। यह भोजन बहुत ही सात्विक होता है। सात्विक भोजन वो होता है जो हमारे तन और मन को शांत रखे। इसमें सामान्यतया लहसुन, प्याज, अदरक आदि का प्रयोग नहीं या बहुत कम किया जाता है। क्यूंकी ऐसा माना जाता है की प्याज,लहसून आदि शरीर में उत्तेजना लाते हैं और व्रत के दिन ऐसा भोजन करना चाहिए जो शरीर को शांत रखें।

वैभव लक्ष्मी व्रत का उद्यापन कैसे करना चाहिए

संकल्प लिए हुवे व्रत पूरे होने पर व्रत का उद्यापन किया जाता है। उद्यापन के दिन भी पूरे दिन व्रत रखना होता है और शाम को माता लक्ष्मी की पूजा के बाद भोजन करना होता है। इस दिन 7 या 11 या 21 अपने सामर्थ्य के अनुसार सुहागिन महिलाओं को भोजन कराना होता है। अगर कुंवारी कन्या वैभव लक्ष्मी व्रत करती है तो उन्हे कुंवारी कन्याओं को भी भोजन कराना होता है सुहागिन महिलाओं को नहीं।

वैभव लक्ष्मी व्रत का उद्यापन कौन से महीने में करना चाहिए?

किसी भी व्रत के उद्यापन को पहले से निर्धारित नहीं करते हैं। अपने जितने व्रत करने के संकल्प लिया है उतने व्रत पूर्ण होने पर उससे अगले शुक्रवार को व्रत का उद्यापन करने। अगर आपने 11 शुक्रवार वैभव लक्ष्मी के व्रत करने का संकल्प लिया है तो 12 शुक्रवार को उद्यापन करें। इसी तरह अपने 21 शुक्रवार का संकल्प लिया है तो 22 वें शुक्रवार को उद्यापन करें।

वैभव लक्ष्मी व्रत उद्यापन सामग्री

व्रत के उद्यापन के दिन बाकी सामान तो वही रहता है जो हम हर शुक्रवार की पूजा में लेते हैं लेकिन कुछ सामान दान करने के लिए भी लिया जाता है।

  • पूजा सामग्री :- ऊपर बताई गई वैभव लक्ष्मी पूजा सामग्री ही इस दिन उपयोग होती है। क्यूंकी इस दी भी ठीक वैसे भी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है जैसे हर शुक्रवार को करते हैं।
  • दान सामग्री :- उद्यापन में आप जितनी महिलाओं को भोजन कराएंगे उतनी ही संख्या में वैभव लक्ष्मी व्रत कथा पुस्तक और कटोरियाँ।

वैभव लक्ष्मी व्रत की उद्यापन विधि

  • व्रत :- उद्यापन के दिन भी पूरे दिन व्रत रखना होता है जैसे हर शुक्रवार को आप रखते है और शाम को माता लक्ष्मी की पूजा करनी होती है।
  • पूजा विधि :- उद्यापन के दिन भी शाम को वैसे ही माता लक्ष्मी की पूजा करनी होती है जैसे हर शुक्रवार करते हैं। वैभव लक्ष्मी की पूजा विधि हमने ऊपर पूरे विस्तार से पढ़ी है। उसी विधि से उद्यापन के दिन भी पूजा करें।
  • महिलाओं को भोजन :- उयद्यापन के दिन सुहागिन महिलाओं को भोजन कराना होता है। अपने सामर्थ्य के अनुसार 7, 11 या 21 महिलाओं को भोजन कराएं। भोजन शुद्ध और सात्विक होना चाहिए।
  • दान :- महिलाओं को भोजन कराने के बाद वैभव लक्ष्मी व्रत कथा की पुस्तक और दक्षिणा भेंट दें। पुस्तक के साथ थोड़े ऋतुफल, और खीर या अन्य जो भी प्रसाद आपने बनाया है वो दें। ध्यान रहे की जिस कटोरी में खीर डाल कर दे वो कटोरी नई हो क्यूंकी वो कटोरी भी हमें दान करनी होती है। वह कटोरी वापस कभी ना लें।

वैभव लक्ष्मी का व्रत करने से क्या फल मिलता है

माता लक्ष्मी को धन और ऐश्वर्य की देवी माना जाता है। जब हम व्रत रखते हैं तो हमारे मन में यह बात जरूर आती है की वैभव लक्ष्मी का व्रत करने से क्या फल मिलता है ? वैभव लक्ष्मी व्रत के लाभ क्या है ? जातक इस दिन धन, दौलत, वैभव और जीवन में सुख समृद्धि पाने के लिए व्रत रखते हैं। मान्यतों के अनुसार वैभव लक्ष्मी व्रत पूरी श्रद्धा और विधि पूर्वक रखने से निम्न फायदे होते हैं।

  • आर्थिक संकट से मुक्ति :- वैभव लक्ष्मी व्रत रखने से जातक के आर्थिक संकट दूर होते हैं और धन दौलत और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है।
  • व्यापार में लाभ :- माता लक्ष्मी की कृपा से जातक को व्यापार नौकरी आदि में लाभ होता है और घर में माता लक्ष्मी का वास बना रहता है।
  • मनोकामना पूर्ति :- शास्त्रों में वर्णित विधि से पूर्ण श्रद्धा भाव से माता लक्ष्मी की उपासना करने से जातक की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। कोई भी व्रत सच्चे मन से और बिना किसी के दबाव से करने से भी उसका फल हमें प्राप्त होता है।

यह भी पढ़ें :- वैभव लक्ष्मी का व्रत क्यूँ करते हैं ? इसके लाभ क्या हैं ?

निष्कर्ष/ सारांश

प्रिय पाठकों इस लेख में हमने शुक्रवार के वैभव लक्ष्मी व्रत के बारे में सम्पूर्ण जानकारी ली। हमने vaibhav laxmi vrat vidhi in hindi के बारे में पढ़ा । हमने यह भी जाना की वैभव लक्ष्मी व्रत की सामग्री क्या क्या होती है और वैभव लक्ष्मी व्रत की पूजा विधि क्या है। साथ ही हमने यह भी जाना की वैभव लक्ष्मी व्रत में क्या खाएं और क्या नहीं खाएं। अगर आपको हमारा यह लेख पसंद आया है तो अपने प्रियजनों के साथ जरूर share करें। अगर आपके कोई सुझाव हैं तो comment करना ना भूलें।

चेतावनी – इस artical में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। यह जानकारी लेखक द्वारा विभिन्न माध्यमों से एकत्रित कर पाठकों तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें।

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