santoshi mata ki puja kaise karen संतोषी माता की पूजा की विधि

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santoshi mata ki puja kaise karen :- शुक्रवार का दिन संतोषी माता को समर्पित है। मान्यता है की 16 शुक्रवार के व्रत पूरी श्रद्धा और विधि पूर्वक रखने से संतोषी माता हमें मनोवांछित फल देती हैं। लेकिन किसी भी व्रत का पूरा फल तभी मिलता है जब उसको पूरे विधान और नियम से किया जाएं। किसी भी व्रत को करने में उसकी पूजाविधि का बहुत महत्व होता है। अगर हम हमारी इष्ट देवी की पूजा ही विधिपूर्वक नहीं कर पाए तो हमारा व्रत कभी सफल नहीं हो सकता । इस post में हम जानेंगे की संतोषी माता के व्रत में क्या क्या सामग्री चाहिए और संतोषी माता पूजा कैसे करें।

संतोषी माता की पूजा कैसे करें santoshi mata ki puja kaise karen

शुक्रवार के संतोषी माता के व्रत को पूरे विधि विधान से करने के लिए हमें यह जानना बहुत जरूरी हैं की शुक्रवार सुबह से शाम को पूजा तक हमारी दिनचर्या क्या हो। हमें कौन कौन से नियमों का पालन करना चाहिए जिससे माता प्रसन्न हो और शाम को संतोषी माता की पूजा कैसे करें

संतोषी माता व्रत का संकल्प कैसे करें

अगर आप संतोषी माता के 16 शुक्रवार के व्रतों की शुरुवात कर रहें है तो पहले शुक्रवार को व्रत का संकल्प लेना होता है। व्रत का संकल्प प्रातःकाल को लिया जाता है। शुक्रवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके शुद्ध और साधारण वस्त्र पहने।

संकल्प के लिए संतोषी माता की मूर्ति के सामने दाहिने हाथ में चावल, जल और पुष्प लेकर आँख बंद करके संकल्प ले की ” हे संतोषी माता ! मैं ( खुद का नाम – पिता का नाम – गौत्र – स्थान ) आज से अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए आपके 16 शुक्रवार के व्रत करने का संकल्प लेती हूँ । हे माता मुझ पर हमेशा अपना आशीर्वाद बनाएं रखें और मेरे ये सभी शुक्रवार के व्रत और उद्यापन को निर्विघ्न सम्पन्न कराएं और मेरी मनोकामना पूरी करें।”

शुक्रवार के संतोषी माता के व्रत के दिन की दिनचर्या कैसी हो ?

सुबह व्रत का संकल्प लेने के बाद आपको पूरे दिन व्रत का पालन करना होता है और शाम को संतोषी माता के व्रत की पूजा की जाती है। व्रत के दिन आपकी दिनचर्या सात्विक होनी चाहिए। मन में संतोषी माता के मंत्र ॐ श्री संतोषी माताय नमः का जाप करते रहें। इस दिन किसी का अहित या बुरा ना सोचे। शुक्रवार के व्रत के दिन किसी की नींदा, चुगली या अपशब्द ना कहें । ऐसा माना जाता है की जब आप व्रत का पालन करते है तो दिन में नहीं सोना चाहिए। संतोषी माता के व्रत में भोजन का विशेष ध्यान रखें।

यह भी पढ़ें :- संतोषी माता के व्रत में क्या खाएं और क्या ना खाएं।

संतोषी माता के व्रत में क्या क्या सामग्री चाहिए?

किसी भी व्रत की पूजा विधि निर्विघ्न और पूर्ण विधि विधान से सम्पन्न हो इसके लिए आवश्यक है की हमारे पास उस पूजा की सारी सामग्री उपलब्ध हो। इसलिए हमें पूजा से एक दिन पहले ही सारी सामग्री ले आनी चाहिए जिससे हमारी पूजा में कोई बाधा ना आए। तो आइए जानते हैं की संतोषी माता के व्रत में क्या क्या सामग्री चाहिए?

  • संतोषी माता की फोटो :- संतोषी माता की फोटो। भगवान गणेश की मूर्ति/फोटो। अगर भगवान गणेश की मूर्ति या फोटो नहीं है तो सुपारी से भी भगवान गणेश को पूजा जाता है।
  • लकड़ी की चौकी और उस पर बिछाने के लिए पीले या लाल रंग का वस्त्र।
  • दीपक, देशी घी, धूप, अगरबती।
  • तांबे का स्टील का जल का पात्र।
  • प्रसाद के रूप में गुड़ और चना और कोई ऋतुफल भी ले सकते हैं।
  • फूल और आम के पत्ते।
  • रौली, मौली, पीले अक्षत, कपूर, जनेऊ
  • दक्षिणा के लिए थोड़े रुपये।

संतोषी माता के व्रत की पूजा विधि

ऊपर बताई गई सारी सामग्री यथासंभव लाने के बाद शुक्रवार की शाम को नीचे बताई गई संतोषी माता के व्रत की पूजा विधि से पूजा करें। माता संतोषी आपकी मनोकामना जरूर पूरी करेंगी।

  • संतोषी माता की फोटो की स्थापना :- सबसे पहले अपने पूजा के स्थान पर लकड़ी की चौकी स्थापित करें और उस पर पीले या लाल रंग का कपड़ा बिछा लें। अब संतोषी माता की मूर्ति स्थापित करें। माता के दाहिने और गणेश जी को स्थापित किया जाता है। सबसे पहले थोड़े पीले अक्षत रखें और उस पर गणेश जी की मूर्ति या सुपारी रूपी गणेश जी को स्थापित करें।
  • दीपक प्रज्वलन :- संतोषी माता और गणेश जी को स्थापित करने के बाद उनके साथ घी का दीपक जलाएं।
  • माता का शृंगार :- सबसे पहले संतोषी माता के रोली और चंदन का तिलक लगाएं। इसके बाद अगर फूलों की माला है तो माता की फोटो पर चढ़ाएं। अब अगरबती, धूप आदि दिखाएं।
  • भोग :- अब माता का प्रसाद गुड़ और चना उनको अर्पित करें और अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा रूप में कुछ रुपये रखें।
  • कलश स्थापना :- अब तांबे या स्टील के कलश में शुद्ध जल डाल कर चौकी पर रखें। कलश में थोड़े पुष्प और अक्षत डालें और आम के पत्ते रखें। अब एक कटोरी में थोड़ा गुड़ और चना डालकर कलश पर आम के पतों पर रखें।
  • नारियल पूजा :– अब एक नारियल लेकर उस पर मौली बांधकर माता के सामने रखें। अब नारियल को अक्षत अर्पित करें।
  • संतोषी माता की व्रत कथा :- अब संतोषी माता की व्रत कथा पुस्तक पर बनी माता की की फोटो को भी चंदन और रोली का तिलक लगाएं और अक्षत लगाएं। अब संतोषी माता की व्रत कथा पढे।
  • संतोषी माता की आरती :- अब संतोषी माता की आरती गाएं । सभी उपस्थित भक्तों को आरती की थाली की लौ से आरती दें।
  • प्रसाद वितरण :- आरती के बाद सभी को संतोषी माता का प्रसाद, गुड़ चना दें।
  • पानी का कलश :- अब पूजा में रखें पानी के कलश के शुद्ध और पवित्र पानी को घर में छिड़क कर घर का पवित्रीकरण करें। बचा हुआ पानी तुलसी के पौधे में डाल दें।
  • सुपारी रूपी गणेश जी :- पूजा का सामान कभी भी पूजा वाले दिन नहीं उठाना चाहिए। इसलिए जब अगले दिन शनिवार को पूजा का सामान उठायें तो सुपारी रूपी गणेश जी को मंदिर में रख दें। आने वाले हर शुक्रवार को इन्ही गणेश जी पूजा माता संतोषी के साथ करनी है। व्रत के उद्यापन के बाद यह सुपारी ब्राह्मण को दान के साथ दें।

संतोषी माता की आरती लिखी हुई

santoshi mata ki aarti
santoshi mata ki aarti

ॐ जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
अपने सेवक जन की, सुख संपत्ति दाता।
ॐ जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता । ।

सुंदर, चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हो।
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो।
ॐ जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता

गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे।
मंद हंसत करूणामयी, त्रिभुवन जन मोहे।
ॐ जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता । ।

स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरे प्यारे।
धूप, दीप, मधुमेवा, भोग धरें न्यारे।
ॐ जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता । ।

गुड़ अरु चना परमप्रिय, तामे संतोष कियो।
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो।
ॐ जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता । ।

जय शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही।
भक्त मण्डली छाई, कथा सुनत मोही।
ॐ जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता । ।

मंदिर जगमग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई।
विनय करें हम बालक, चरनन सिर नाई।
ॐ जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता । ।

भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै।
जो मन बसे हमारे, इच्छा फल दीजै।
ॐ जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता । ।

दुखी, दरिद्री ,रोगी , संकटमुक्त किए।
बहु धनधान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिए।
ॐ जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता । ।

ध्यान धर्यो जिस जन ने, मनवांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनंद आयो।
ॐ जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता । ।

शरण गहे की लज्जा, राखियो जगदंबे।
संकट तू ही निवारे, दयामयी अंबे।
ॐ जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता । ।

संतोषी मां की आरती, जो कोई नर गावे।
ॠद्धिसिद्धि सुख संपत्ति, जी भरकर पावे।
ॐ जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता । ।

निष्कर्ष / सारांश

प्रिय पाठकों इस post में हमने जाना की santoshi mata ki puja kaise karen । साथ ही हमने पढ़ा की संतोषी माता के व्रत में क्या क्या सामग्री चाहिए? आशा है की आपको हमारी ये post पसंद आई होगी। अगर आप हमें कोई सुझाव देना चाहते हैं तो comment करके जरूर बताएं।

FAQs

शुक्रवार के व्रत में क्या नहीं करना चाहिए?

शुक्रवार के व्रत में निम्न कार्य कभी नहीं करने चाहिए।

  • संतोषी माता के व्रत के दिन कभी भी खट्टे का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन खट्टे को छूना भी वर्जित बताया गया है।
  • अगर अपने व्रत रखा है तो दिन में नहीं सोये।
  • शाम को संतोषी माता की पूजा के बाद ही एक बार भोजन में अन्न लें। दिन में फलाहार आदि ले सकते हैं।
  • व्रत के दिन तन और मन से सात्त्विक रहें। किसी की निंदा और चुगली करने से बचे। कडवे वचन ना बोले और किसी से झगड़ा आदि नहीं करें।
  • खाने में नमक से परहेज रखें और शाम को ज्यादा तला भुना और मसालेदार भोजन नहीं करें।

संतोषी माता का व्रत कौन से महीने से शुरू करना चाहिए?

किसी भी माह के शुक्लपक्ष के पहले शुक्रवार से आप संतोषी माता के व्रत की शुरुवात कर सकते हैं।

संतोषी माता की पूजा कितने बजे करनी चाहिए?

संतोषी माता की पूजा शाम को की जाती है। अगर आप किसी कारण से सुबह ही पूजा कर लेते हैं तो शाम को भोजन करने से पहले संतोषी माता की आरती जरूर करें फिर ही भोजन करें।

संतोषी माता के कितने व्रत करने चाहिए?

संतोषी माता को प्रसन्न करने के लिए 16 शुक्रवार को लगातार व्रत रखा जाता है।

संतोषी माता को कौन सा फूल चढ़ाना चाहिए?

संतोषी माता को कमल का फूल चढ़ाना चाहिए। चूंकि संतोषी माता कमल के पुष्प पर विराजमान हैं इसलिए कमल उनका प्रिय फूल माना जाता है।

यह भी पढ़ें :- संतोषी माता के व्रत के उद्यापन की विधि ।

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चेतावनी – इस artical में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। यह जानकारी लेखक द्वारा विभिन्न माध्यमों से एकत्रित कर पाठकों तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें।

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