शास्त्रों के अनुसार सूर्यदेव को पंचदेवों में से एक देव माना गया हैं। इस लेख में हम जानेंगे की ravivar ki puja kaise karen । रविवार के दिन व्रत रखकर हम सूर्यदेव के प्रति अपनी श्रद्धा भावना को प्रकट करते हैं और उनकी पूजा अर्चना करते हैं। सूर्यदेव की पूजा हमेशा सूर्यास्त से पहले करनी चाहिए। सूर्यास्त के बाद सूर्यदेव को पूजना वर्जित माना गया है। इस पोस्ट में हम रविवार व्रत की पूरी विधि के बारे में जानेंगे। हम जानेंगे की रविवार के व्रत में हमारी दिनचर्या कैसी हो ? सूर्य देव की पूजा में क्या क्या लगता है? और सूर्यदेव की पूजा कैसे करें।
रविवार के व्रत का संकल्प कैसे करें
किसी भी देवी या देवता का व्रत को आरंभ करने से पहले हमें व्रत का संकल्प लेना होता है। रविवार के व्रत कम से 12, 30 या वर्ष पर्यंत रखा जाता है। सबसे पहले रविवार को सुबह जल्दी नहा धोकर सूर्यदेव की मूर्ति के आगे खड़े हो जाएं। मान लीजिए आप 12 रविवार का व्रत रखना चाहते हैं। प्रभु को प्रणाम करके दाहिने हाथ में जल, पुष्प और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लेते हुवे बोले ” हे सूर्यदेव ! मैं (अपना नाम-पिता का नाम – जाति – स्थान ) आपकी आराधना में लगातार 12 रविवार के व्रत पूर्ण श्रद्धा भाव से करने का संकल्प लेता हूँ। हे सूर्यदेव अपना आशीर्वाद हमेशा मुझ पर बनाए रखें और मेरे ये व्रत निर्विघ्न सम्पन्न करवाएं। “
रविवार के सूर्यदेव के व्रत के दिन की दिनचर्या कैसी हो ?
- दिन की शुरुवात :- सूर्यदेव की पूजा में सूर्योदय का बहुत महत्व होता है। रविवार के व्रत के दिन सूर्योदय से कम से कम 1 घंटे पहले जरूर उठ जाएं। सूर्योदय से पहले नहाकर स्वच्छ लाल वस्त्र धारण कर लें। मस्तक पर लाल चंदन का तिलक लगाएं।
- सूर्य को अर्ग :- सूर्यदेव को अर्ग हमेशा सूर्योदय के बाद दर्शन करके दिया जाता है। सूर्यदेव को अर्ग देना का सबसे उत्तम समय तब होता है जब सूर्य की पहली किरण धरती पर पहुँचती हैं और सूर्य की किरणों में लालिमा दिखाई देती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य की पहली किरणे जब हमारे शरीर पर गिरती हैं तो हमारे शरीर के चक्र balance होते हैं।
- सूर्य पूजा :- सूर्यदेव की पूजा सुबह भी कर सकते हैं और शाम को सूर्यास्त से पहले भी कर सकते हैं। सूर्य पूजा की विस्तृत विधि नीचे बताई गई है।
- फलाहार :- सूर्यदेव का व्रत आप पूर्ण फलाहार से भी कर सकते हैं जिसमें आप दिन में एक भी बार भोजन नहीं करते केवल फलों का सेवन करते हैं। अगर पूर्ण फलाहार पर व्रत नहीं कर रहें हैं तो शाम को सूर्यदेव की पूजा के बाद एक बार भोजन कर सकते हैं। दिन में केवल चाय, दूध, फल और मखाने आदि खा सकते हैं। यह भी पढ़ें :- रविवार व्रत में क्या खाएं ? रविवार व्रत का भोजन ।
- सात्विक विचार :- रविवार व्रत के दिन अपने पूरे दिन की दिनचर्या सात्विक रखें। किसी को कड़वे वचन ना बोलें और किसी से झगड़ा नहीं करें। काम – क्रोध, अहंकार आदि तामसिक विचारो से दूर रहें। पूरे दिन सूर्यदेव का स्मरण करते रहें और उनके मंत्रों का जाप करें।
- दिन में नहीं सोना :- व्रत के दिन दिन में नहीं सोना चाहिए। आराम करने के लेट सकते हैं लेकिन कोशिश करें की दिन में नींद ना लें।
सूर्य पूजा सामग्री – सूर्य देव की पूजा में क्या क्या लगता है?
पूजा में लगने वाली सामग्री हमें एक दिन पहले ही लाकर रख देनी चाहिए जिससे पूजा करते समय भागना नहीं पड़ें। अपने श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार नीचे बताई गई सामग्री यथासंभव पूजा में शामिल करने की कोशिस करें। अगर कोई सामग्री नहीं ला सकते तो भी कोई बात नहीं, पूर्ण श्रद्धा और भक्ति भाव से सिर्फ हाथ जोड़कर की गई पूजा से भी भगवन प्रसन्न हो जाते है। तो आइए जानते हैं की सूर्य देव की पूजा में क्या क्या लगता है?
- मूर्ति / फोटो :- सूर्य भगवान की ऐसी मूर्ति या फोटो में जिसमें वह रथ पर हों। गणेश जी की मूर्ति/ फोटो। गणेश जी की फोटो ना भी तो कोई बात नहीं। पूजा में सुपारी को गणेश जी मान कर उनकी पूजा की जाती है।
- लकड़ी की चौकी , पंचामृत, गंगाजल, नैवेद्य ।
- तांबे का कलश :- सूर्यदेव को जल का अर्ग हमेशा तांबे के कलश में दिया जाता है।
- धूप दीपक :- धूप, अगरबती, दीपक, घी आदि जरूर लें। दीपक जलाकर हम भगवान से कामना करते है की हमारी पूजा निर्विघ्न सम्पन्न हो।
- गेंहू :- सूर्यदेव की पूजा में लाल अन्न, विशेषकर गेंहू का विशेष महत्व है। इस दिन गेंहू का भोजन बनाया जाता है, दान किया जाता है और पूजा में भी लिया जाता है।
- लाल रंग का वस्त्र :- लाल रंग सूर्यदेव का प्रिय रंग है। इसलिए सूर्यदेव की पूजा में लाल रंग का कपड़ा अवश्य लें। आप सवा मीटर कपड़ा ले सकते हैं।
- लाल पुष्प :- सूर्यदेव की पूजा में लाल रंग के फूल अर्पित किए जाते हैं। गुड़हल के लाल फूल सूर्यदेव को सबसे अधिक प्रिय हैं। अगर गुड़हल के ना है तो आप लाल रंग के दूसरे फूल जैसे गुलाब आदि भी ले सकते हैं।
- लाल चंदन और गुड़ :- लाल चंदन और गुड़ भी पूजा में जरूर शामिल करें। अगर आपके पास गुड़ नहीं है तो अन्य कोई मिठाई भी ले सकते हैं।
- भोग :- सूर्यदेव को भोग में खीर और गेंहू के आटे का हलवा भेंट किया जाता है। फलों में सूर्यदेव को लाल फल जैसे सेव अनार आदि का भोग लगा सकते हैं।
- दक्षिणा/ रुपये :- अपने सामर्थ्य के अनुसार पूजा में दक्षिणा जरूर अर्पित की जानी चाहिए। माना जाता है की अगर हमसे पूजा में कोई कमी रह जाए तो हमारे द्वारा चढ़ाई गई दक्षिणा उस कमी की पूर्ति करती है।
रविवार के व्रत की पूजा विधि ravivar ki puja kaise karen
ऊपर बताई सारी सामग्री लाने के बाद रविवार को सूर्यदेव की पूजा की जाती है। सूर्यदेव की पूजा आप प्रातःकाल में भी कर सकते हैं और शाम को भी सूर्यास्त से पहले कर सकते हैं। सूर्यदेव की पूजा विधि का सबसे आवश्यक नियम यही है की जब आप सूर्यदेव की पूजा करते हैं तो सूर्यदेव आकाश में होने चाहिए। सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद कभी भी सूर्यदेव की पूजा ना करें। तो आइए जानते हैं की सूर्य देव की पूजा कैसे करे ?
- मूर्ति स्थापना :-पूजा स्थल को गंगाजल के छींटे देकर शुद्ध कर लें और लकड़ी की चौकी स्थापित करके उस पर लाल रंग का वस्त्र बिछाए। अब अष्टदल कमल बनाकर उसपर सूर्यदेव की प्रतिमा स्थापित करें। गणेश जी की प्रतिमा को फूलों का आसन्न देकर स्थापित करें। किसी की भी देवी देवता की मूर्ति को सीधे चौकी पर नहीं रखा जाता है पहले उन्हे आसन्न देना होता है। आसन्न आप फूलों का या किसी अनाज गेंहू आदि का दे सकते हैं। गणेश जी की प्रतिमा नहीं है तो भी कोई बात नहीं एक सुपारी लेकर उसे गणेश जी मान कर पूजा कर सकते हैं।
- पूजा सामान स्थापना :- मूर्ति स्थापना के बाद बाकी पूजा सामग्री का सामान चौकी पर रखें। जल के कलश पर नारियल रखकर उसे भी चौकी पर रखें।
- शुद्धिकरण :- अगर गंगाजल है तो अच्छा है नहीं तो साधारण जल के छींटे देकर पूजा सामग्री का शुद्धिकरण करें। इसके बाद खुद पर भी जल के छींटे देकर शुद्धिकरण करें।
- गौरी गणेश पूजा :- किसी भी पूजा में सबसे पहले गणेश जी पूजा होती है। इसलिए गौरी पुत्र गणेश जी की पंचोपचार से विधिवत पूजा करें। पंचोपचार में धूप, दीप, पूष्प, गंध, एवं नैवेद्य का उपयोग किया जाता है।
- सूर्य पूजा :- गणेश जी पूजा के बाद भगवान नारायण की पूजा करें। भगवान सूर्य की मूर्ति को स्नान कराने के बाद चंदन, रोली, अक्षत, जनेऊ आदि अर्पित कर फूल-फल, भोग और पंचामृतआदि अर्पित करके प्रणाम करें।
- व्रत कथा :- रविवार के व्रत की पूजा विधि तब तक पूर्ण नहीं मानी जाती तब तक व्रत कथा ना सुनी जाए। सूर्य पूजा के बाद रविवार व्रत कथा सुने ।
- भोग :- पूजा के बाद सूर्यदेव को खीर और गेंहू के आटे का भोग लगाए एवं प्रसाद वितरित करें।
- अर्ग :- पूजा सम्पन्न होने के बाद सूर्यदेव को अर्ग दें। जल में अक्षत, लाल पुष्प, रोली आदि डालकर सूर्यदेव को जल का अर्ग दें और सूर्यमंत्र का जप करें।
- दान :- रविवार के व्रत की पूजा विधि का अंतिम चरण हैं दान । सूर्य व्रत में अपने सामर्थ्य के अनुसार दान दक्षिणा जरूर करें। इस दिन गेंहू, गुड़, लाल कपड़ा, तांबे के बर्तन और दक्षिणा आदि अपनी जरूर दान करें। यह दान आप किसी जरुरतमन्द को कर सकते हैं या किसी मंदिर में भी कर सकते हैं।
रविवार व्रत के लाभ Ravivar Vrat Ke fayde
सूर्यदेव का व्रत करने से पहले जातक के मन में सवाल जरूर आता है की हमें रविवार का व्रत क्यों रखना चाहिए? रविवार व्रत के लाभ क्या क्या हैं ? रविवार का दिन सूर्यदेव का दिन माना जाता है। इसलिए रविवार का व्रत करने से जातक का सूर्य मजबूत होता है। सूर्यदेव को सभी ग्रहों में सबसे तेजस्वी माना गया है। जन्मकुंडली के 9 गृहों में सूर्य को सबसे प्रभावशाली गृह माना गया है।
ज्योतिषशास्त्र में सूर्य को ग्रहों का राजा माना गया है। इसलिए सूर्य मजबूत होने पर आपके जीवन में एक राजा की तरह सुख और समृद्धि आती है। अगर आपका सूर्य मजबूत है तो आपकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और हमारे जीवन में निम्न सार्थक प्रभाव देखने को मिलते हैं। शास्त्रों में सूर्य पूजा के लाभ निम्न बताए गए हैं।
- शत्रुओं से रक्षा :- ऐसा माना जाता है की अगर आप रविवार का वत रखते हैं तो सूर्यदेव की तेज से आपके दुश्मनों का नाश होता है। सूर्यदेव का सच्चे मन से किया गया व्रत हमें हमारे दुश्मनों से बचाता है और कोई भी प्रकार का अहित होने से बचाता है।
- चर्म और नेत्र रोग से छुटकारा :- सूर्यदेव का व्रत करने से जातक को चर्म रोग और नेत्र रोग से मुक्ति मिलती है।
- जीवन में सुख समृद्धि :- सूर्यदेव का रविवार का व्रत जीवन में सुख समृद्धि और मान सम्मान बढ़ाने वाला बताया गया है।
- नौकरी की समस्या :- अगर आपकी नौकरी नहीं लग रही है या नौकरी छूट गई है तो रविवार का व्रत आपके नौकरी संबंधी विकार दूर करने में सहायता करता है।
- संतान प्राप्ति :- संतान प्राप्ति, विशेषकर पुत्र प्राप्ति के लिए भी रविवार का व्रत किया जाता है।
- पिता के अच्छे संबंध :- अगर आपके अपने पिता से संबंध अच्छे नहीं हैं, संबंधों मे कटुता है तो आपको जरूर रविवार का व्रत करना चाहिए। सूर्यदेव का रविवार का व्रत रखने से जातक के अपने पिता से संबंधों में मधुरता आती है।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार :- सूर्यदेव का व्रत रखने से जातक के जीवन से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। काम, क्रोध, अहंकार जैसे तामसिक विचार मन में नहीं आते और जीवन में सत्विकता आती है।
यह भी पढ़ें :- रविवार व्रत की कथा और आरती ।
FAQ’S
रविवार को कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए?
रविवार के दिन हमें ‘ऊं आदित्य नम: मंत्र या ऊं घृणि सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करना चाहिए इससे सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं।
सूर्य को जल देने का सही समय क्या है?
सूर्य को अर्ग देने का सबसे उत्तम समय है सूर्योदय का समय। जब सूर्य की पहली किरणे धरती पर पहुँचती हैं और आसमान में लालिमा रहती है तब सूर्य को अर्ग देना सबसे उत्तम माना जाता है। अगर तब अर्ग नहीं दे पाते हैं तो सूर्योदय के 1 घंटे के भीतर अर्ग देना भी शुभ माना जाता है। साधारण शब्दों में जब तक सूर्य की रोशनी शीतल और शरीर को सुहाने वाली होती है तभी तक सूर्य को अर्ग देने से हमें फल मिलता है। जब सूर्य की रोशनी बहुत तेज और चुभने वाली हो जाती हैं तब सूर्यदेव को अर्ग देने से कोई फायदा नहीं होता।
सूर्य को जल में क्या डालकर चढ़ाना चाहिए?
सूर्यदेव को लाल वस्तुए अति प्रिय हैं इसलिए सूर्य को अर्ग देते हैं तांबे के पात्र में लाल फूल, रोली, लाल चंदन, अक्षत आदि डालकर अर्ग देना चाहिए। सूर्य को अर्ग देते समय जो वस्तुए हम जल मे डालते हैं उनका अलग अलग महत्व होता है। इसलिए अपनी कुंडली के अनुसार वस्तुए डाल सकते हैं। सूर्य को अर्ग 3 बार में दिया जाता है यानि आपके पात्र में जितना जल है उसे 3 बार रुक रुक कर अर्पित करें।
सूर्य को हल्दी डालकर जल चढ़ाने से क्या होता है?
माना जाता है की सूर्य को हल्दी डालकर जल चढ़ाने से जातक के विवाह योग जल्दी बनते हैं। हिन्दू धर्म में हल्दी को बहुत शुभ और पवित्र माना जाता है इसलिए हर शुभ कार्य में हल्दी का उपयोग किया जाता है।
Quora :- रविवार व्रत की पूजा विधि।
सूर्य को जल कब नहीं देना चाहिए?
ऐसी मान्यता है की सूर्योदय के समय जब सूर्य आधा उदय हो गया हो यानि मध्याहन अवस्था में हो, तब जल नहीं देना चाहिए।
सूर्य को जल देते समय कितनी परिक्रमा करनी चाहिए?
सूर्य को जल देते समय 3 परिक्रमा करनी चाहिए। सूर्य को जल हमेशा तांबे के पात्र में दिया जाता है और पूरा जल एक बाद में नहीं दिया जाता । पात्र के जल को 3 बार में सूर्य देव को अर्पित किया जाता है और हर बार 1 परिक्रमा की जाती है।
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