utpanna ekadashi vrat katha in hindi :- हिन्दू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी उत्पन्ना एकादशी के नाम से पूजी जाती है। मान्यता है की इस दिन भगवान विष्णु के अंश से देवी एकादशी उत्पन्न हुई थी इसलिए ये एकादशी उत्पन्ना एकादशी के नाम से जानी गई। ऐसा माना जाता है की जातक को एकादशी के व्रत का आरंभ उत्पन्ना एकादशी से ही करना चाहिए। प्राचीन मान्यताओं मे उत्पन्ना एकादशी की अनेक कथाएं प्रचलित हैं लेकिन जो कथा सबसे अधिक प्रचलित है तो आइए utpanna ekadashi vrat katha in hindi पढ़ते है।
utpanna ekadashi 2023 date and time उत्पन्ना एकादशी कब है 2023
हिन्दू पंचाग के अनुसार उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी हैं। 2023 में उत्पन्ना एकादशी साल के अंत में 8 दिसम्बर को आएगी। तिथि आरंभ, समाप्ति और व्रत के पारण का मुहूर्त नीचे दिया गया है।
दिनांक | 8 दिसम्बर 2023, शुक्रवार |
तिथि प्रारंभ | दिसम्बर 08, 2023 को सुबह 05:06 (AM) |
तिथि समाप्त | दिसम्बर 09, 2023 को सुबह 06:31 (AM) |
उत्पन्ना एकादशी 2023 व्रत पारण का समय
व्रत के पारण से तात्पर्य है व्रत खोलना। एकादशी के व्रत का पारण द्वादशी की तिथि में किया जाता है। ध्यान रहें व्रत का पारण हरि वासर पूरा होने के बाद ही किया जाता है।
हरि वासर के समाप्त होने का समय | दोपहर 12:41 (PM) ,दिसम्बर 09, 2023 |
व्रत के पारण का समय | दोपहर 01:16 से 03:20 तक, दिसम्बर 09, 2023 |
उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा utpanna ekadashi vrat katha in hindi
प्राचीन काल की बात है। धर्म और अधर्म की लड़ाई में देवताओं और राक्षसों का युद्ध हमेशा चलता रहता था। धर्म और अधर्म के इस युद्ध में हमेशा देवताओं की विजय हुई और धर्म का परचम हमेशा लहराया। लेकिन सतयुग में मुर नाम का एक बहुत ही शक्तिशाली राक्षस पैदा हुआ। उसके बल और शक्ति के आगे बड़े बड़े राजा और देवता हारने लगे। सभी राक्षसों ने मुर की अगुवाई में देवताओं को पराजित करके तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया।
सभी देवताओं ने मिलकर अपना बल सामर्थ्य लगाया फिर भी मुर को पराजित नहीं कर पाए। विवश होकर सभी देवता देवराज इन्द्र के सानिध्य में भगवान विष्णु की शरण में गए। देवताओं ने भगवान विष्णु से विनती की ” हे तीनों लोकों के मालिक ! हमारी सहायता करें। आपके द्वारा रची गई इस सृष्टि पर भयंकर कष्ट आन पड़ा है। धर्म पर अधर्म की विजय हो रही है। सभी देवता असुरों से पराजित हो रहे हैं।”
देवताओं से सारा वृतांत सुनकर भगवान विष्णु ने उनकी सहायता करने का निश्चय किया और मुर की असुर सेना से युद्ध करने के लिए निकल पड़े। रणभूमि मे मुर की असुरसेना ने भगवान विष्णु को देखते ही उनपर आक्रमण कर दिया और युद्ध आरंभ हो गया। भगवान विष्णु अपने शौर्य और पराक्रम से धीरे धीरे करने असुर सेना को हराने लगे। एक के बाद एक शक्तिवाली राक्षस नरक के द्वार पहुँचने लगे।
भगवान युद्ध जीतने ही वाले थे की मुर रणभूमि से भागने लगा और भगवान विष्णु ने उसका पीछा किया। काफी समय तक निरंतर मुर का पीछा करने के बाद भगवान ने मुर को तुच्छ समझकर विश्राम करने का । भगवान विष्णु बद्रिकाश्रम की हेमवती नामक गुफा में विश्राम करने रुके। विश्राम करते करते भगवान निंद्रा योग में चले गए।
असुर मुर को अपने छल से पता चल गया की भगवान विष्णु हेमवती नामक गुफा में आराम करते हुवे निंद्रा योग में चले गए हैं । मुर भगवान विष्णु का निंद्रा में ही वध करने के लिए गुफा की तरफ चल पड़ा। मुर के इस छल से अनभिज्ञ भगवान विश्राम कर रहे थे। गुफा में पहुँच कर जैसे ही मुर भगवान विष्णु पर आक्रमण करने लगा तभी भगवान विष्णु की पावन देह से एक देवी प्रकट हुई।
देवी ने मुर का प्रहार रोक लिया और फिर मुर और देवी में युद्ध हुआ। युद्ध में असुर मुर मारा गया और देवी की विजय हुई। देवी ने भगवान विष्णु को निंद्रा से जगाकर सर वृतांत सुनाया और कहा की वह उन्ही के अंश से उत्पन्न शक्ति है।
भगवान विष्णु ने देवी से कहा ” हे देवी ! आपके तेज शौर्य से आज पुनः धर्म को अधर्म पर विजयी बनाया है। चूंकि आपकी उत्पति एकादशी के दिन हुई है इसलिए आज के बाद पूरी सृष्टि इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से पूजेगी। “
आप भी अगर उत्पन्ना एकादशी का व्रत रख रहें है तो भगवान विष्णु की पूजा अर्चना के बाद utpanna ekadashi vrat katha in hindi जरूर पढ़ें।
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utpanna ekadashi vrat katha in hindi pdf
उत्पन्ना एकादशी का महत्व
उत्पन्ना एकादशी के महत्व का आप इस बात से आँकलन कर सकते हैं की हिन्दू धर्म में व्रत या उपवास की उत्पति का कारण यही एकादशी मानी जाती है। जैसा की हमने उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा में पढ़ा की कैसे दानव मूर का वध करने के लिए भगवान विष्णु ने अवतार लिया था।
अधर्म पर धर्म की स्थापना के लिए मूर दानव का वध करने के लिए माता एकादशी भगवान विष्णु के शरीर के अंश से पैदा हुई थी। जिस दिन माता एकादशी का जन्म भगवान विष्णु की पवन देह से हुआ उसी दिन को एकादशी के नाम से जाना गया । इस तरह उत्पन्ना एकादशी अधर्म पर धर्म की विजय और भगवान विष्णु की भक्ति का प्रतीक माना जाता है।
FAQ
उत्पन्ना एकादशी के दिन क्या खाना चाहिए?
अन्य एकादशी की तरह ही इस एकादशी को भी लहसून, अदरक, प्याज, माँस, मदिरा और मसूर की दाल का सेवन दशमी के दिन से ही नहीं करना चाहिए। सात्विक भोजन करना चाहिए। इस दिन ज्यादा तला भुना और मसालेदार भोजन करने से बचे। अगर आप केवल फलाहार पर व्रत कर रहें है तो अपनी इच्छानुसार कोई भी ऋतुफल का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा दूध, दही, चाय, नारियल पानी, और फलों के रस का सेवन कर सकते हैं। एकादशी के भोजन आदि और नियम जानने के लिए हमारी ये post पढ़ें।
एकादशी कब है december 2023
2023 के साल के अंत में दिसम्बर के महीने में दो एकादशी आएंगी उत्पन्ना एकादशी और मोक्षदा एकादशी।
मोक्षदा एकादशी ( शुक्ल पक्ष ) :- 23 दिसंबर 2023, शनिवार
उत्पन्ना एकादशी ( कृष्ण पक्ष ) :- 8 दिसम्बर 2023, शुक्रवार
एकादशी व्रत के नियम – क्या करें क्या ना करे और भोजन कैसा हो ?
Pinterest :- उत्पन्ना एकादशी की शुभकामनाएं संदेश
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