shravana putrada ekadashi vrat katha pdf | shravana putrada ekadashi 2023 date and time

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shravana putrada ekadashi vrat katha : जैसा की नाम से स्पष्ट है पुत्रदा यानि पुत्र प्रदान करने वाली एकादशी । साल में पुत्रदा एकादशी 2 बार आती है, पहली पौष मास में और दूसरी श्रावण मास में। जिन विवाहित जोड़ों को संतान सुख प्राप्त नहीं है वो संतान सुख प्राप्ति के लिए श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु से संतान सुख की कामना करते हैं।

प्रिय पाठकों इस post के अंत में श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत कथा pdf हिन्दी में का link दिया है। अगर आप श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत कथा images चाहते हैं तो भी post के अंत में दिए गए लिंक से download कर सकते हैं।

shravana putrada ekadashi 2023 date and time

shravana putrada ekadashi 2022 date and time :- इस साल 2023 में श्रावण पुत्रदा एकादशी रविवार , 27 अगस्त 2023 को आएगी।

दिनांकरविवार , 27 अगस्त 2023
तिथि प्रारंभ27 अगस्त 2023 पूर्वाह्न 12:08 बजे (AM)
तिथि समाप्त27 अगस्त 2023 अपराह्न 09:32 बजे (PM)
shravana putrada ekadashi 2022 date and time
shravana putrada ekadashi 2022 date and time

shravana putrada ekadashi vrat katha

श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत कथा :- प्राचीन समय में महिषमती नाम का एक नगर था। महिषमती का राजा महीजित था। महीजित का राज्य बहुत ही खुशहाल और साधन सम्पन्न था। लेकिन राजा को कोई संतान नहीं थी। संतान सुख के अभाव में महीजित का मन बहुत उदास रहता था। राज काज का सुख, धन समृद्धि आदि सब सुख होने के बावजूद महीजित उनका भोग नहीं कर पाता था। संतान सुख के अभाव में सब सुख उसे फीके लगते थे।

संतानसुख के अभाव में राजा का शरीर जर्जर होने लगा, वृद्धावस्था समय से पहले शरीर को घेरने लगी। महीजित बहुत ही पराक्रमी और दयालु था। अपनी प्रजा का संतान की तरह पालन पोषण करता था। महीजित की प्रजा भी अपने राजा से बहुत खुश थी लेकिन अपने प्रिय राजा को प्रीतिदीन व्यथा में देख कर प्रजा भी व्यथित हो उठी। महिषमती के कुछ मुखिया और जनप्रीतिनिधियों ने अपने राजा की इस व्यथा का हल निकालने का संकल्प लिया और गहरे वन की तरफ प्रस्थान किया।

बहुत समय तक गहरे वनों में भटकते भटकते और सैंकड़ों साधु, संतों और ऋषिगणों से मिलने के बाद भी उन्हे अपने राजा के कष्टों का समाधान नहीं मिला। थक हारकर निराश मन से जब वे लौट रहे थे तो उन्हे एक ऋषि का आश्रम दिखाई दिया। उस आश्रम मे ऋषि लोमश का निवाश था। उन्होंने अपने राजा की सारी व्यथा महर्षि लोमश को बताई और उनके राजा के कष्ट हरने का आग्रह किया। महर्षि लोमश बहुत ही तपस्वी और ज्ञानी थे। परमात्मा की कठिन तपस्या करने के कारण उन्हे परम ज्ञान की प्राप्ति थी।

महर्षि लोमश ने सारा वृतांत सुनकर उनकी सहायता करने का आश्वासन दिया और ध्यान मुद्रा में चले गए। ध्यान मुद्रा से लौटने के बाद उन्होंने कहा ” मुझे आपके राजा के कष्टों का कारण और निवारण दोनों ज्ञात हो गए है। मैं अवश्य आपकी सहायता करूंगा। ” ऋषि के वचन सुनकर सब बहुत प्रसन्न हुवे और खुशी से झूमने लगे।

महर्षि लोमश आगे बोलते हैं ” पूर्वजन्म में तुम्हारे राजन बहुत ही निर्धन वैश्य थे। निर्धनता ने उनसे बहुत अनैतिक कार्य और पाप करवाए जिनका कष्ट उन्हे इस जन्म मे भुगतना पड़ रहा है। पूर्वजन्म में ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी की दोपहरी में राजा बहुत प्यासे थे और अपनी प्यास बुझाने के लिए एक सरोवर पर पानी पीने गए। वहाँ स्वच्छ पानी के स्थान पर एक गाय पानी पी रही थी। राजन इतने प्यासे थे की उन्होंने उस गाय को वहाँ से भगाकर खुद वह पानी पिया। गाय को प्यासा रखकर उन्होंने खुद की प्यास बुझाई, यही वो अनैतिक कार्य था जिसके कारण उन्हे अगले जन्म में संतानहीन रहने का श्राप मिला। “

द्वादशी के ठीक पहले दिन राजा भूखे रहे इस कारण उन्हे इस जन्म में राजा बनने का सौभाग्य मिला लेकिन गाय को प्यासा रखने के कारण उन्हे संतानहीनता मिली। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पिछले जन्मों के पाप हरने वाली मानी जाती है। अपने राजा को बोलो की वो ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के व्रत पूर्ण श्रद्धा से करें, उन्हे जरूर पिछले जन्मों के पापों का प्रायश्चित करने का मौका मिलेगा।

महर्षि लोमश के वचन सुनकर राजा का प्रीतिनिधि मण्डल वापस महिषमती नगर लौट आया और अपने राजा को ये सारा वृतांत सुनाया। राजा ने मन ही मन भगवान को प्रणाम किया और अपने पिछले जन्म के पापों की माफी मांगी और ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को व्रत रखने का संकल्प लिया।

महर्षि लोमश के कहे अनुसार राजा ने अगली ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को व्रत रखा और खूब दान पुण्य किया। एकादशी व्रत के तेज से रानी ने जल्द ही गर्भ धारण किया और प्रसवकाल की समाप्ति पर बहुत ही सुंदर और तेजस्वी राजकुमार को जन्म दिया। उसी के बाद ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाने लगा।

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श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत कथा हिन्दी में pdf download करने का link नीचे दिया गया है।

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श्रावण पुत्रदा एकादशी व्रत कथा हिन्दी में images 3 भागों मे बांटी गई हैं। तीनों भाग की images नीचे दी गई हैं।

shravana putrada ekadashi vrat katha part 1
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shravana putrada ekadashi vrat katha part 2
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shravana putrada ekadashi vrat katha part 3
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श्रावण पुत्रदा एकादशी की शुभकामनाएं images

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