dev uthani gyaras 2023 | dev uthani ekadashi 2023

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dev uthani gyaras 2023 : देवउठनी ग्यारस या देवउठनी एकादशी 2023 में 23 november 2023 को है। माना जाता है की भगवान विष्णु 4 माह की निद्रा के बाद पाताललोक से देवउठनी ग्यारस के दिन उठते है। इसलिए इस एकादशी को देवोत्थान या देवउठनी एकादशी कहा जाता है। हिन्दू धर्म में इस एकादशी के बाद शादी ब्याह आदि सारे मंगल कार्य शुरू हो जाते हैं। मान्यता है की देवसोवनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता क्यूंकी उस समय भगवान पाताल लोक में सोते हैं।

dev uthani gyaras 2023 date and time

dev uthani gyaras 2023 date and time
dev uthani gyaras 2023 date and time
दिनांक 23 november 2023
वार गुरुवार
तिथि आरंभ22 नवंबर रात 11:03 PM
तिथि समाप्त23 नवंबर रात 09:01 PM
व्रत खोने का समय 24 नवंबर सुबह 06:51 AM से 08:58 AM

dev uthani ekadashi ki katha (देव उठनी एकादशी की कथा)

dev uthani gyaras 2023 का शुभ मुहूर्त और दिनांक जानने के बाद आइए सुनते हैं अब dev uthani ekadashi ki katha

प्राचीनकाल में किसी नगर में एक राजा शासन करता था। राजा बड़ा ही धर्मपरायण और पराक्रमी था। उसके राज्य में उसकी प्रजा भी दान धर्म और सात्विक कार्यों मे विश्वास करती थी। एकादशी के दिन राजा और पूरी नगरी के लोग व्रत रखते थे। कोई भी अन्न गृहण नहीं करता था। इस तरह पूर्ण सत्विकता और सादगी से राजा अपने नगर में शासन करता था।

एक बार राजा के दरबार में कोई परदेशी युवक आया और राजा से नौकरी की गुहार करने लगा। परदेशी युवक बोला ” हे ! राजाधिराज मैं बहुत दूर से आपसे मदद मांगने आया हूँ। मेरे परिवार में मैं ही कमाने वाला हूँ। कृपया मेरी सहायता कीजिए और मुझे महल में नौकरी दीजिए। मैं कोई भी कार्य करने को तैयार हूँ। “

राजा को युवक की दशा पर तरस आया और राजा ने उसकी मदद करने की सोची। युवक की बात सुनकर राजा बोला ” हे नौजवान ! हम तुम्हें महल में नौकरी देंगे लेकिन एक शर्त पर। एकादशी के दिन हमारे पूरे नगर में सारी प्रजा व्रत रखती है। तुम्हें भी एकादशी को व्रत रखना होगा, एकादशी को तुम्हें अन्न नहीं मिलेगा। ” युवक ने बड़ी सहजता से राजा की बात मान ली। युवक ने सोचा एक दिन भूखा रहना कौनसी बड़ी बात है।

उसके बाद युवक राजा के महल में नौकरी करने लगा। युवक हर कार्य को बड़ी निपूर्णता से करता था। राजा भी युवक की कार्यकुशलता और कर्मनिष्ठा से खुश थे। समय बीतता गया और एकादशी की तिथि आई। पूरे नगर में खुशी का माहौल था। राजा और पूरी प्रजा ने व्रत रखा और सब फलाहार करने लगे। शाम होते होते युवक को भूख लगने लग गई तो उसने राजा से कहा ” हे राजन ! अब मुझसे और भूख सहन नहीं होती कृपया करके मुझे भोजन दे वरना मैं और मेरे भगवान दोनों भूखे मर जाएंगे । “

राजा ने युवक द्वारा भगवान के भूखे होने की बाद को मज़ाक समझा। राजा ने युवक को नौकरी देने की शर्त याद दिलाई और कहा की एकादशी के दिन पूरे राज्य में कोई भोजन नहीं करता। लेकिन युवक अपनी जिद पर अड़ा रहा और बार बार अन्न माँगता रहा। आखिरकार राजा को युवक पर तरस आ गया और उसने युवक को आटा , दाल चावल आदि दे दिया। युवक अनाज लेकर महल से नदी किनारे आ गया।

युवक ने भोजन पकाया और नदी की तरफ आवाज दी ” भोजन तैयार है प्रभु ! आइए भोजन करते हैं। ” युवक के भोजन के निमंत्रण देते ही भगवान चतुर्भुज नदी किनारे प्रकट हो गए। भगवान ने बड़े प्रेम भाव से युवक से साथ वही सादा भोजन किया और भोजन करके अंतरध्यान हो गए। युवक हमेशा की तरह अगले दिन महल में नौकरी करने लगा। अगली एकादशी भी आ गई और फिर राजा और पूरी प्रजा ने व्रत रखा। युवक फिर राजा के पास गया और बोला।

“राजाधिराज पिछली एकादशी को आपने जो अन्न दिया था उससे बड़ा ही स्वादिस्ट भोजन बना था। हम दोनों तो उँगलिया चाटते ही रहा गए और भूख भी शांत नहीं हुई। राजा ने युवक से पूछा ” आप दोनों कौन ? तुम तो अकेले ही हो इस राज्य में तुम्हारा परिवार तो यहाँ है ही नहीं । ” तब युवक बोला ” हाँ राजन मेरा परिवार यहाँ नहीं है लेकिन मैं और भगवान दोनों साथ भोजन करते हैं। पिछली एकादशी को मेरे साथ साथ भगवान भी भूखे रह गए। “

युवक की बात सुनकर राजा हंसने लगा और बोला ” क्यूँ हमे मूर्ख बना रहे हो। मैं और मेरी पूरी प्रजा एकादशी का व्रत रखते है और भगवान को पूजते हैं। पूरे राज्य में केवल तुम ही हो जिसने भगवान को खुश करने के लिए व्रत नहीं रखा। भला भगवान तुम्हारे साथ भोजन क्यूँ करेंगे? युवक बोला ” मैं असत्य नहीं बोल रहा हूँ राजन ! अगर आपको मेरी बातों पर विश्वास नहीं है तो आप मेरे साथ नदी किनारे चले और स्वयं अपनी आँखों से देख लें। ” राजा युवक के साथ अन्न ,चावल इत्यादि लेकर नदी किनारे चल पड़ा ।

नदी किनारे जाकर राजा एक पेड़ के पीछे छुप गया और सब कुछ देखने लगा। युवक ने खाना बनाने लगे खाना बनने के बाद नदी की तरफ जाकर आवाज दी ” भगवन ! भोजन तैयार है आइए साथ में भोजन करते हैं। ” लेकिन भगवान नहीं आए। युवक ने बहुत बार भोजन का निमंत्रण दिया लेकिन भगवान प्रकट न हुवे। तब युवक बोला ” भगवान आप भोजन करने नहीं आए तो मैं इस नदी में कूदकर अपनी जान दे दूंगा। ऐसा कहकर युवक नदी की तरफ बढ़ने लगा । युवक नदी में कूदने ही वाला था की भगवान चतुर्भुज प्रकट हुवे।

भगवान ने बड़ी ही सादगी से युवक के साथ में भोजन किया और भोजन करके अंतर ध्यान हो गए। राजा पेड़ के पीछे छुपकर सब कुछ देख रहा था। तब राजा को समझ में आया हूँ भगवान को सचे मन और पूरी श्रद्धा से सूकी रोटी भी अर्पण करों तो भगवान सहर्ष स्वीकार करते हैं। लेकिन झूठी आस्था से कितने भी व्रत उपवास रखो चाहे भगवान को 56 प्रकार के भोग लगाओ प्रभु कभी स्वीकार नहीं करेंगे।

dev uthani ekadashi ki katha pdf

dev uthani gyaras 2023 का महत्व

हिन्दू पंचाग के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी देव उठनी एकादशी कहलाती है। इसको देव प्रबोधिनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। चौमासे या चतुर्मास के 4 माह समाप्त होने के बाद ये एकादशी आती है। माना जाता है की पाताललोक में चार माह की निद्रा के बाद भगवान विष्णु इस दिन ही पूरी सृष्टि का कार्यभाल संभालते हैं। इसलिए जब 4 माह भगवान सोते हैं तो कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता क्यूंकी माना जाता है की तब भगवान की कृपा दृष्टि सृष्टि पर नहीं होती है। dev uthani ekadashi 2023 का महत्व इसलिए भी काफी बढ़ जाता है की 4 माह से सारे रुके हुवे शुभ कार्य ये एकादशी शुरू करवाती है।

dev uthani ekadashi 2023 puja vidhi

dev uthani gyaras 2023
dev uthani ekadashi 2023 puja vidhi
  • सूर्योदय से पहले उठें और स्नान आदि दैनिक क्रियाओ से निव्रत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • भगवान विष्णु को याद करके dev uthani ekadashi vrat का संकल्प लें।
  • स्नान करने के बाद पूरे घर की अच्छी तरह सफाई करें विशेष रूप से आँगन की । हो सके तो स्वच्छ पानी से आँगन को धो लें। अगर गंगाजल है तो पूरे घर में गंगाजल छिड़कें।
  • आँगन को अच्छी तरफ साफ करने के बाद आँगन में भगवान विष्णु के चरणों का चित्र बनाएं। भगवान के चरणों का चित्र अन्न से या रंगोली आदि के रंगों से बना सकते हैं।
  • भगवान विष्णु के चरण कमल का चित्र बनाने के बाद एक ओंखली पर गेरू से भगवान विष्णु का चित्र भी बनाए। ओंखली पर अगर चित्र बनाना संभव न हो तो ओंखली में भगवान विष्णु की प्रतिमा या फोटो को स्थापित करें।
  • ओंखली के पास बेर , सिंघाड़े ,ऋतुफल और गन्ना इत्यादि रख कर इन्हे धक दें।
  • देवउठनी एकादशी की रात्री को भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें और घर के बाहर एवं पूजा स्थल पे दीपक प्रज्वलित करें।
  • मान्यता के अनुसार भगवान को योगनिन्दरा से जगाने के लिए छोटी घंटी, शंख, मृदंग इत्यादि का उपयोग किया जाता है।
  • ऊपर दिए गए यंत्रों में से कोई भी एक यंत्र लेकर बजाए एवं नीचे लिखे मंत्र, हिन्दी या संस्कृत जो भी भाषा आपको आती है उसमें पढे। माना जाता है यही मंत्र सुनने के बाद भगवान विष्णु निंद्रा से उठते हैं।
  • हिन्दी मंत्र “उठो देवा, बैठा देवा, आंगुरिया चटकाओ देवा, नई सूत, नई कपास, देव उठाये कार्तिक मास”
  • संस्कृत मंत्र ” उत्तिष्ठो उत्तिष्ठ गोविंदो, उत्तिष्ठो गरुड़ध्वज। उत्तिष्ठो कमलाकांत, जगताम मंगलम कुरु”

dev uthani gyaras 2023 और तुलसी विवाह

हिन्दू धर्म में देव उठनी एकादशी का बहुत महत्व है क्यूंकी 4 माह बाद इसी एकादशी के बाद सारे शुभ कार्य प्रारंभ होते हैं। लेकिन एकादशी के ठीक अगले दिन यानि कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह कराए बिना देवउठनी एकादशी अधूरी मानी जाती है। मान्यता है की माता तुलसी का भगवान शालिग्राम से विवाह सम्पन्न करवाने के बाद ही हिन्दू धर्म मे शादी विवाह की मुहूर्त निकल सकते हैं।

dev uthani ekadashi shubhkamnaye

देवउठनी एकदशी को देव योगनीन्द्रा से उठते हैं और सारे शुभ कार्य आरंभ होते हैं। तो आप भी अगर अपने प्रिय जनों को देवउठनी एकदशी की बधाइयाँ देना चाहते हैं तो नीचे दिए link से बधाई संदेश images डाउनलोड कर सकते हैं।

देवउठनी एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं

तुलसी विवाह की कथा पढ़ने लिए हमारी नीचे दी गई post पढ़ें।

भगवान शालिग्राम और माता तुलसी के विवाह की कथा और विधि।

चेतावनी – इस artical में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। यह जानकारी लेखक द्वारा विभिन्न माध्यमों से एकत्रित कर पाठकों तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।

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