tulsi vivah katha in hindi pdf :- हिन्दू धर्म में चौमासे यानि मानसून की समाप्ति के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी यानि देवउठनी एकादशी के ठीक अगले दिन तुलसी के पौधे की भगवान शालिग्राम से शादी करवाने की परंपरा है। माना जाता है की तुलसी शालिग्राम की शादी के बाद ही हिन्दू समाज मे शादी के मुहूर्त शुरू होते हैं। तुलसी को हिन्दू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है क्यूंकी तुलसी माता लक्ष्मी का अवतार मानी जाती है एवं शालिग्राम भगवान विष्णु का अवतार माने जाते हैं।
tulsi vivah 2024 date and time
दिनांक | 13 नवंबर 2024 |
दिन | बुधवार |
तिथि प्रारंभ | 12 नवंबर 2024, 4:05 PM से |
तिथि समाप्त | 13 नवंबर 2024, 1:01 PM तक |
tulsi shaligram vivah katha
tulsi shaligram vivah katha : प्राचीन काल में जालंदार नाम का एक बहुत ही शक्तिशाली राक्षस था। उसने अपनी शक्ति और बल से तीनों लोकों में अपना प्रभुत्व जमा रखा था। सभी असुर और देवताओ में वह अजेय था। उसकी शक्ति का कारण उसकी पत्नी वृंदा थी। वृंदा एक पतिव्रता स्त्री थी। उसके पतिव्रत के तेज से हमेशा जालंदार की रक्षा होती और हर युद्ध में वो जीत जाता । जालंदार के बढ़ते प्रभुत्व और शक्ति को देखकर देवता चिंतित हो गए और इस समस्या के समाधान हेतु भगवान विष्णु के पास गए।
भगवान विष्णु ऋषि का रूप लेकर उसी जंगल मे पहुंचे जहां वृंदा रहती थी। जालंदर उस समय देवताओ से युद्ध करने गया था। भगवान विष्णु ने अपनी लीला से जंगल में 2 राक्षस प्रकट किए। जैसे ही वो राक्षस वृंदा पर आक्रमण करने वाले थे भगवान नें तुरंत उन दोनों राक्षसों को भस्म कर दिया। वृंदा को साधु के तेज और तपस्या पर पूर्ण विश्वास हो गया । वृंदा ने सोचा ये तपस्वी साधु जरूर मुझे मेरे पति के बारे में बता सकते हैं।
वृंदा ने साधु बने भगवान को प्रणाम किया और उनसे अपने पति की कुशल क्षेम पूछी। साधु ने वृंदा को कहा की उसका पति युद्ध में मारा गया और माया से अपने एक हाथ में जालंदर का सिर और दूसरे में धड़ दिखाया। अपने पति का कटा सिर देखकर वृंदा मूर्छित होकर गिर पड़ी। वृंदा ने होश में आने के बाद ऋषि से अपने पति को जिंदा करने की विनती की। भगवान विष्णु ने अपनी माया से जालंदर का सिर उसके धड़ से जोड़ दिया लेकिन चुपके से जालंदर के शरीर में प्राण बनकर घुस गए।
जालंदर का रूप लेकर भगवान विष्णु वृंदा के साथ रहने लगे । वृंदा भगवान को पहचान नहीं पाई और उन्हे ही अपना पति मानने लगी और उनके साथ पति धर्म निभाने लगी। भगवान विष्णु से पतिधर्म निभाने से वृंदा का पति धर्म टूट गया और जालंदर की युद्ध में मौत हो गई। जब वृंदा को इस बात का पता चला की भगवान विष्णु ने उसका पतिव्रता धर्म भंग कराया है तो क्रोध में आकर उसने भगवान विष्णु को पत्थर बनने का श्राप दे दिया। भगवान विष्णु ने अपने भगत द्वारा दिए श्राप को सहर्ष स्वीकार किया और शालिग्राम पत्थर बन गए।
भगवान के पत्थर बन जाने से पूरी सृष्टि में हाहाकार मच गया। खुद सृष्टि के रचीयता पालनहार पत्थर बन गए तो सृष्टि का विनाश तय था। सब देवताओ और माता लक्ष्मी ने वृंदा से अपना श्राप वापस लेने का निवेदन किया । वृंदा ने उनके आग्रह पर भगवान विष्णु को अपने श्राप से मुक्त कर दिया लेकिन अपने पति के बिना वृंदा ने अपना जीवन व्यर्थ माना और खुद के शरीर को दाह करके अपने प्राण त्याग दिए। जिस जगह पर वृंदा ने आत्मदाह किया वहाँ एक तुलसी का पौधा उत्पन्न हुआ।
भगवान विष्णु ने वृंदा के इस त्याग और पतित्व के धर्म को देखकर कहा ” हे देवी वृंदा आज तुमने पूरी सृष्टि को दिखा दिया की पतिव्रता स्त्री में कितना तप और तेज होता है। आज के बाद मैं तुम्हें देवी लक्ष्मी के समकक्ष सम्मान दूंगा।” उसके बाद देवताओं ने शालिग्राम पत्थर की उस तुलसी के पौधे से विवाह करवाया ताकि देवी वृंदा का पतिव्रत धर्म न टूटे।
उसी दिन के बाद से भगवान विष्णु के पाताल लोक से लौटने के बाद देवउठनी एकादशी के अगले दिन तुलसी और शालिग्राम का विवाह करवाया जाता है।
tulsi vivah katha in hindi pdf
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tulsi vivah vidhi 2024 – tulsi vivah ki vidhi
देवउठनी एकादशी के अगले दिन यानि कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी को भगवान विष्णु के शालिग्राम अवतार और माता लक्ष्मी की अवतार माता तुलसी का विवाह करवाया जाता है। मान्यता है की तुलसी शालिग्राम विवाह करवाने पर कन्यादान जितना पुण्य प्राप्त होता है और घर में शुख समृद्धि आती है। तो आइए जानते है की माता तुलसी और भगवान शालिग्राम की घर में कैसे विवाह करवाएं।
- तुलसी विवाह में घर के सभी सदस्य शामिल हो सकते हैं लेकिन सामान्यतया तुलसी विवाह वही दंपति करवाते हैं जिन्होंने व्रत रखा है। अतः समस्त सदस्य नहा धोकर स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूजा में बैठे।
- माता तुलसी के गमले की सजावट करें उसे गेरू से लेपित करें। माता तुलसी के गमले की वैसे ही सज्जा शृंगार करें जैसे दुल्हन का शृंगार किया जाता है।
- भगवान शालिग्राम को लकड़ी के चौकोने आसन्न पर स्थापित करें। दूसरी चौकी पर तुलसी माता का गमला रखें।
- माता तुलसी और भगवान शालिग्राम की चौकी को पास पास स्थापित करके उनके चारों ओर गन्ने से मंडप का निर्माण करें।
- भगवान शालिग्राम की चौकी पर कलश की स्थापना करें। कलश पर आम के पते रखकर नारियल रखें। और माता तुलसी और भगवान की सामने घी का दीपक चलकर एव रोली चंदन का टीका लगाएं।
- माता तुलसी को लाल चुनरी ओढ़ाएं और बिंदी चूड़ी आदि सामग्री से दुल्हन की तरह शृंगार करें।
- भगवान शालिग्राम को चौकी सहित उठाकर तुलसी की 7 परिक्रमा कराएं।
- परिक्रमा संपन होने के बाद भगवान विष्णु और माता तुलसी की आरती करें और सभी को प्रसाद वितरित करें।
tulsi vivah ki shubhkamnaye
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तुलसी पूजन दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
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