घर पर ही शनिवार के व्रत का उद्यापन की विधि 2024 shanivar vrat udyapan vidhi in hindi

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shanivar vrat udyapan vidhi in hindi :- संकल्प लिए शनिवार व्रत पूर्ण होने के बाद जातक के मन में यह जरूर आता है की शनिवार व्रत का उद्यापन कैसे करें। किसी भी व्रत के उद्यापन में 3 कार्य किए जाते हैं। हवन, दान, और ब्राह्मण भोज। अगर आप तीनों कार्य करने में सक्षम है तो अतिउतम हैं वरना तीनों में से 2 या 1 कार्य तो जरूर ही करें। जिससे आपको उद्यापन का पूर्ण रूप से फल मिलेगा। शनिवार व्रत उद्यापन में काली वस्तुए दान की जाती हैं और ब्राह्मण भोज एवं अगर आप सक्षम हों तो हवन भी करवाएं।

उद्यापन का मतलब क्या होता है ?

उद्यापन का अर्थ होता है की हमनें हमारे द्वारा संकल्प लिए हुए व्रत पूरी श्रद्धा से पूर्ण कर लिए हैं। व्रत पूरे होने के अगले शनिवार को भगवान शनि की अंतिम पूजा की जाती हैं जिसे उद्यापन पूजा कहा जाता है। इस पूजा में हम अपने सामर्थ्य के अनुसार दान पुण्य करते हैं और शनिदेव से प्रार्थना करते हैं की अगर हमने आपकी पूजा पाठ और व्रत विधि में अगर कोई गलती हो गई है तो हमें क्षमा करें। आपकी कृपा दृष्टि हमेशा हम पर बनाए रखें और हमारी मनोकामना पूर्ण करें।

शनिवार व्रत उद्यापन सामग्री लिस्ट

किसी भी व्रत के उद्यापन की पूजा सामान्य पूजा से थोड़ी अलग होती हैं क्यूंकी यह उस व्रत की अंतिम पूजा होती है। इस पूजा में सामान्यतया दान पुण्य और ब्राह्मणों आदि को खाना खिलाया जाता है। इसलिए इसमे सामान्य पूजा से अधिक सामग्री की आवश्यकता होती है। शनिवार व्रत उद्यापन सामग्री लिस्ट में नीचे दी गई चीजे यथासंभव शामिल करने की कोशिश करें।

  • शनिदेव प्रतिमा :- शनिदेव की लोहे से बनी हुई प्रतिमा लें और प्रतिमा स्थापित करने के लिए लोहे का पात्र ।
  • लकड़ी की चौकी, काला कपड़ा, दीपक, सरसों का तेल।
  • कच्चा सूट, काले तिल, काली उड़द की दाल, दूध, गंगाजल, शक्कर, गुड़।
  • लोहे का कलश ।
  • हवन सामग्री :- गाय के गोबर का उपला, काले तिल, लौंग, शक्कर, घी, कपूर

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shanivar vrat udyapan vidhi in hindi शनिवार व्रत उद्यापन विधि

shanivar vrat udyapan vidhi in hindi :- संकल्प लिए व्रत पूर्ण होने के अगले शनिवार को उद्यापन पूजा करनी चाहिए। इस पूजा में लगने वाली सामग्री हमने ऊपर पढ़ी है। अब हम शनिवार व्रत उद्यापन विधि पढ़ेंगे। उद्यापन पूजा अगर पीपल या शमी के पेड़ के नीचे की जाती है तो बहुत ही शुभ माना जाता है। इसके अलावा आप घर पर भी यह पूजा कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं शनिवार व्रत का उद्यापन कैसे करें

  • प्रातःकाल दिनचर्या :- शनिदेव व्रत में जातक को सुबह जल्दी उठना चाहिए और सूर्योदय से पहले ही स्नान आदि करने स्वच्छ कपड़े पहनने चाहिए। इस दिन नीले या काले रंग के ही कपड़े पहने।
  • पीपल का पेड़ :- लोहे स्टील के लोटे में थोड़ा गंगाजल, दूध, शक्कर , काला तिल और काली उड़द की दाल डाल लें। अपने साथ कच्चा सूट जरूर लें। ध्यान रहें कच्चा सूत कम से कम इतना होना चाहिए की वह 7 बार पीपल के पेड़ के तने पर लपेटा जा सके। कच्चा सूत लेकर पीपल के पेड़ की 7 परिक्रमा लगाए और साथ में लोटे से जल भी अर्पित करते जाए।
  • शनिदेव मंत्र उच्चारण :- पीपल के पेड़ की परिक्रमा करते समय शनिदेव के मंत्र या उनके बीज मंत्र का उच्चारण अवश्य करें। शनिदेव मंत्र – ॐ शं शनैश्चराय नमः । बीज मंत्र – ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
  • दीपक प्रज्वलन :- पीपल के पेड़ की परिक्रमा पूरी करने के बाद पीपल के पेड़ के नीचे थोड़े काले तिलों का आसन्न देकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
  • शनिदेव स्मरण :- दीपक जलाने के बाद हाथ जोड़कर शनिदेव का स्मरण करें। शनिदेव से आपके कष्ट, दुख या जो भी आपके जीवन में समस्या हो उसकों निवारण करने की विनती करें।
  • शुद्धिकरण :- गंगाजल के छींटे देते हुवे पूरे घर का शुद्धिकरण करें। अगर गंगाजल नहीं है तो साधारण शुद्ध जल से शुद्धिकरण करें।
  • शनिदेव पूजा :- शनिदेव की पूजा सूर्य के रहते नहीं की जाती है और शनिदेव की मूर्ति भी घर में नहीं रखी जाती है। इसलिए उद्यापन के दिन दिन में शनीचालीसा पढ़ें, शनिदेव के मंत्रों का उचारण करते रहें और शाम को सूर्यास्त के बाद शनिदेव के मंदिर में या पीपल के पेड़ के नीचे शनिदेव की पूजा करें।
  • पूजा स्थल :- पूजास्थल पर लकड़ी की चौकी रखकर उस पर काला कपड़ा बिछा लें। अब लोहे के पात्र में सरसों का तेल डालकर उसमे शनिदेव की लोहे की बनी हुवी प्रतिमा स्थापित करें।
  • पूजा विधि :- शनिदेव की मूर्ति स्थापित करने के बाद अब पूजा का शेष सामान भी चौकी पर रख लें। अब शनिदेव की पूर्ण विधि विधान से वैसे ही पूजा करें जैसे हर बार शनिवार में व्रत में करते आए हैं। इस दिन शनिदेव के साथ भगवान शिव की भी पूजा की जाती है।
  • पूजा विधि :- आसन्न पर बैठ कर सबसे पहले गंगाजल से पूजा सामग्री और स्वयं का शुद्धिकरण करे। अब शनिदेव को काला कपड़ा भेंट करें। अब अन्य भेंट की वस्तुए जैसे शमी का पुष्प, काला तिल, काली उड़द की दाल, सरसों का तेल आदि चढ़ाए। अब सरसों के तेल का दीपक जलाकर धूप अगरबती दिखाए और आरती करें, शनि चालीसा पड़ें।
  • भोग :- अब आपने जो भी प्रसाद में जो सामग्री बनाई है वो शनिदेव को अर्पित करें।
  • शनिवार व्रत कथा :- अब पूर्ण श्रद्धा भाव से शनिवार व्रत कथा सुने।
  • हवन :- अगर संभव हो तो ब्राह्मण को बुलाकर हवन करवाएं। अगर आप ब्राह्मण को नहीं बुला सकते तो खुद भी घर पे छोटा सा हवन कर सकते हैं। ऊपर बताई गई हवन सामग्री मिलाकर शनिदेव का मंत्र बोलते हुवे कम से कम 108 बार हवन में आहुति डाले। अगर आप 108 आहुति नहीं डाल सकते तो कम से कम 11 बार आहूति डालकर हवन करें। सबसे पहले आहूति गणेश जी की डाले।
  • दान :- ऐसा माना जाता है की गरीब, बीमार या पीड़ित मनुष्य में शनिदेव का वास होता हैं इसलिए उद्यापन के बाद किसी गरीब को यथासंभव दान करें। दान में काले वस्त्र, छाता, तिल, पैसे, काले जूते, सवा मीटर कला कपड़ा, काली उड़द की दाल, लोहे की कोई वस्तु और भोजन दे सकते हैं। शनिवार को काले रंग की वस्तुओं का दान करें तो शुभ माना जाता है।
  • शनिदेव मंदिर दर्शन :- उद्यापन के दिन अगर संभव हो तो शनिदेव के मंदिर में दर्शन करने जरूर जाए। मंदिर में सरसों का तेल, काले तिल, काली उड़द की दाल और शमी का फूल जरूर चढ़ा कर आयें।
  • ब्राह्मण भोज :- शनिवार व्रत उद्यापन विधि का अंतिम चरण होता है ब्राह्मण भोज। उद्यापन के दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों को भोजन कराएं। भोजन में शनिदेव की प्रिय वस्तुएं जरूर बनाए।

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आपने जीतने भी शनिवार के व्रत करने का संकल्प लिया है उससे अगले शनिवार को व्रत का उद्यापन करें। यदि अपने 17 शनिवार व्रत करने का संकल्प लिया है तो 18 वें शनिवार को उद्यापन पूजा रखें।

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सारांश/ निष्कर्ष

प्रिय पाठकों इस post में हमने जाना की शनिवार व्रत उद्यापन सामग्री लिस्ट में क्या क्या सामग्री लें। और हमने यह भी जाना की शनिवार व्रत का उद्यापन कैसे करें । अगर आपको हमारी ये post पसंद आई है तो अपने दोस्तों और प्रियजनों के साथ जरूर share करें। अगर आपके कोई सुझाव है तो comment करके हमें जरूर बताए।

Pinterest :- शुभ शनिवार images ।

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