शनिदेव को न्याय के देवता माना जाता है साथ ही शनिदेव के क्रोधी स्वभाव से भी सभी परिचित हैं। इस पोस्ट में हम जानेंगे की shanidev ki pooja kaise kare । ऐसा माना जाता है की अगर आपसे कोई भी गलती हुई है, चाहे वो अनजाने में ही हुई हो, शनिदेव आपको उसका दंड अवश्य देते हैं। इसलिए शनिदेव की पूजा जातक को पूर्ण विधि विधान से करनी चाहिए। जो पहली बार शनिदेव का व्रत कर रहें है उनके मन में ये प्रश्न जरूर आता है की शनिदेव की पूजा कैसे करनी चाहिए ? इस पोस्ट में हम विस्तार से बहुत ही सरल शब्दों में शनिवार व्रत पूजन विधि के बारे में पढ़ेंगे।
शनिवार व्रत पूजा सामग्री
शनिदेव की पूजा पीपल के पेड़ के नीचे या शनिदेव के मंदिर में जाकर की जाती है क्यूंकी घर में शनिदेव की मूर्ति नहीं रखी जाती है। किसी भी पूजा से एक दिन पहले हमें उस पूजा की सारी पूजा सामग्री घर पर ले आनी चाहिए। जिससे पूजा में जोई सामग्री कम ना पड़े और पूजा के दिन हमने अनावश्यक रूप से इधर उधर भागना नहीं पढे। अपने सामर्थ्य के अनुसार शनिदेव की पूजा की सामग्री में नीचे दी गई वस्तुएं जरूर शामिल करें।
- नीले या काले रंग के वस्त्र ( पहनने के लिए )।
- दीपक, कच्चा सूत, नीले पुष्प, लोहे या पीतल का लोटा ।
- शनिचालीसा या शनिदेव की आरती की पुस्तक या आप mobile आदि में भी पढ़ सकते हो।
- काले तिल, काली उड़द की दाल, सरसों का तेल, गुड़ और काला कपड़ा ( शनिदेव को अर्पित करने के लिए )।
- अगर मंदिर में पूजा नहीं कर रहें है तो शनिदेव की लोहे से बनी मूर्ति और एक बड़ा लोहे का बर्तन जिसमे मूर्ति स्थापित करेंगे ।
- भोग के लिए उड़द की काली दाल की बनी कोई मिठाई।
- दान के लिए लोहे का कोई बर्तन आदि।
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शनिवार व्रत पूजन विधि shanidev ki pooja kaise kare
ऊपर बताई गई सामग्री लेने के बाद नीचे दिए गए शनिवार व्रत पूजन विधि के सारे चरण पूरे करते हुए आप बहुत ही साधारण और सरल तरीके से शनिदेव की पूजा कर सकते हैं। याद रहें आप शनिदेव की पूजा सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद ही करें।
- प्रातःकाल की दिनचर्या :- शनिवार की सुबह जल्दी उठे और सूर्योदय से पहले नहा धोकर साफ कपड़े पहने। इस दिन नीले या काले पकड़े पहनना शुभ माना जाता है। क्यूंकी गहरा या काला रंग शनिदेव को अतिप्रिय माना गया है।
- व्रत का संकल्प :- यदि आप शनिवार व्रत का आरंभ कर रहे हैं यानि आपका ये पहला व्रत है तो इस दिन संकल्प लिया जाता है की आप कितने व्रत करेंगे। चूंकि शनिदेव की मूर्ति घर में नहीं रखी जाती है इसलिए यह संकल्प आप बजरंग बली या शिवजी की मूर्ति के समक्ष ले सकते हैं। दाहिने हाथ में काले तिल और जल लेकर शनिदेव का स्मरण करें और संकल्प लें की आप कितने व्रत करेंगे।
- पीपल के वृक्ष की पूजा :- पीपल को जल का अर्ग देने के लिए लोहे या स्टील के कलश में थोड़ा गंगाजल, दूध, शक्कर, काला तिल और काली उड़द की दाल डालें। पीपल की फेरी देने के लिए अपने साथ कच्चा सूत जरूर लें। कच्चा सूत पीपल की 7 परिक्रमा लगाकर पीपल के तने के लपेट दें और साथ में कलश से जल भी अर्पित करते जाए। अर्ग देते समय शनिदेव के मंत्र ॐ शं शनैश्चराय नमः का जप करते रहें।
- दीपक प्रज्वलन :- पीपल के पेड़ की परिक्रमा पूरी करने के बाद पीपल के पेड़ के नीचे थोड़े काले तिलों का आसन्न देकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- शनिदेव स्मरण :- दीपक जलाने के बाद हाथ जोड़कर शनिदेव का स्मरण करें। शनिदेव से आपके कष्ट, दुख या जो भी आपके जीवन में समस्या हो उनका निवारण करने की विनती करें।
- दिन की दिनचर्या :- शनिदेव की पूजा हमेशा सूर्यास्त के बाद या सूर्योदय के पहले की जाती है। इसलिए दिन में आप शनि चालीसा का पाठ करें और शनिदेव के मंत्रों का जप करते रहें। शनिदेव के मंत्र ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः या ॐ शं शनैश्चराय नमः का कम से कम 108 बार जाप जरूर करें। इससे ज्यादा भी अपनी श्रद्धा अनुसार कर सकते है। घर में हनुमानजी और शिवजी की पूजा भी करें। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन बजरंग बली और भोलेनाथ की पूजा की जाती है।
- सूर्यास्त के बाद पूजा :- शनिदेव की मूर्ति कभी भी घर में नहीं रखी जाती है इसलिए आप यह पूजा मंदिर में जाकर या पीपल के पेड़ के नीचे भी कर सकते हैं।
- पूजा स्थल :- पूजास्थल पर लकड़ी की चौकी रखकर उस पर काला कपड़ा बिछा लें। अगर आप शनिदेव के मंदिर में पूजा कर रहें है तो वहाँ शनिदेव की मूर्ति या शीला जो भी है उसकी पूजा करें। अगर आप पीपल के पेड़ के नीचे पूजा कर रहें हैं तो वहाँ लोहे के पात्र में सरसों का तेल डालकर उसमे शनिदेव की लोहे की बनी हुई प्रतिमा स्थापित करें।
- शनिदेव पूजा :- शनिदेव की मूर्ति स्थापित करने के बाद अब पूजा का शेष सामान भी चौकी पर रख लें। अब शनिदेव की पूर्ण विधि विधान से करें। शनिदेव की पूजा करते समय उनकी मूर्ति से कभी नजरें नहीं मिलाई जाती है। इसलिए शनिदेव की पूजा करते समय यह ध्यान रखें की आप शनिदेव की मूर्ति को घूरें नहीं और नजरे कभी भी शनिदेव से न मिलाएं। इसलिए ऐसा माना जाता है की शनिदेव की पूजा ऐसे मंदिर में ही करनी चाहिए जहां वो शीला रूप में विराजमान हो ना की मूर्ति के रूप में ।
- पूजाविधि :- शनिदेव की पूजा करते समय उनके मंत्रों का जाप करते रहें। सबसे पहले उन्हे सरसों के तेल से स्नान कराएं। अब शनिदेव को काला वस्त्र अर्पित करें। शनिदेव को चंदन का टीका लगाएं। ध्यान रखें शनिदेव को हल्दी या सिंदूर का टीका नहीं लगाया जाता है। अब सरसों के तेल का दीपक जलाएं। आप दीपक चारमुखी या 1 मुख वाला साधारण दीपक भी जला सकते हैं। फिर उन्हे काले तिल, काली उड़द की दाल, गुड़ आदि अर्पित करें। दीपक में भी थोड़े काले तिल और काली उड़द डालें । शनिदेव को नीले रंग की पुष्प भी अर्पित करें।
- भोग :- सामान्यतया शनिदेव को भोग साबूत काले उड़द के किसी पकवान का लगाना होता हैं। इसमें आप उड़द की दाल और चावल मिलकर खिचड़ी का भोग लगा सकते हैं। इसके अलावा उड़द की दाल से बनी कोई भी मिठाई का भोग लगा सकते हैं।
- शनिचालीसा पाठ :- पूजा के बाद शनिचालीसा या शनिदेव की आरती का पाठ करें। अब शनिवार व्रत कथा पढ़ें।
- लोहे का दान :- पूजा के बाद हमे लोहे की एक वस्तु का दान करना होता है। दान में आप लोहे की कील या कोई बर्तन आदि कर सकते हैं।
- पीपल के नीचे दीपक :- शनिवार व्रत में संध्या काल में पूजा आदि करने के बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक अवश्य जलाएं। दीपक में थोड़े काले तिल, उड़द की दाल और लोहे का छोटा टुकड़ा अवश्य डालें। आप यह सामग्री दीपक के अंदर तेल में भी दाल सकते हैं या दीपक के पास भी रख सकते हैं।
- गरीब को भोजन :- गरीब और पीड़ित मनुष्य में शनिदेव का वास माना जाता हैं इसलिए शनिवार के व्रत में किसी गरीब को एक वक्त का भोजन जरूर कराएं । इससे शनिदेव का आशीर्वाद आपको प्राप्त होगा।
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निष्कर्ष / सारांश
इस पोस्ट में हमने जाना की शनिवार व्रत पूजा सामग्री में हमें कौन कौन सी वस्तुए शामिल करनी चाहिए। साथ ही हमने यह भी पढ़ा की शनिवार व्रत पूजन विधि में कौन कौन सी बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अगर आपको हमारी यह post पसंद आई है जो share करना बिल्कुल ना भूलें। इसके अलावा अगर आपके कोई सुझाव हैं तो comment करके जरूर बताएं।
FAQs
शनिदेव की पूजा किस समय करनी चाहिए ?
ऐसा माना जाता है जब तक सूर्यदेव होते हैं तब तक शनिदेव की पूजा नहीं की जाती है। इसलिए शनिदेव की पूजा सुबह सूर्योदय से पहले और शाम को सूर्यास्त के बाद करने का विधान है।
शनि देव को जल देते समय क्या बोलना चाहिए?
शनिदेव को जल देते समय उनके मंत्रों का जाप करना चाहिए। ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः या ॐ शं शनैश्चराय नमः कोई भी मंत्र का आप जाप कर सकते हैं।
शनि देव को किस तेल का दीपक जलाना चाहिए ?
शनिदेव को हमेशा सरसों के तेल का दीपक जलाया जाता है। दीपक में थोड़े काले तिल जरूर दाल लें।
औरतों को शनि देव की पूजा करनी चाहिए या नहीं ?
हाँ औरतें शनिदेव की पूजा कर सकती हैं। लेकिन ऐसी मान्यता है की औरतों को शनिदेव की मूर्ति या शीला को स्पर्श नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से उन पर शनिदेव की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ता है। महिलाओं को शनिदेव की मूर्ति पर तेल चढ़ाना भी वर्जित माना गया है। महिलाये पीपल के पेड़ को तेल चढ़ाकर शनिदेव की पूजा कर सकती है।
अगर आप इस पर और अधिक विस्तृत पढ़ना चाहते हैं तो सद्गुरु द्वारा लिखा गया यह लेख पढ़ सकते हैं।
महिलायें क्यूँ ना जाएं शनि मंदिर ?
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