budhwar vrat ka udyapan kaise kiya jata hai :- हमारे द्वारा संकल्प लिए हुए व्रत पूरे हो जाने पर हमें व्रत का उद्यापन करना होता है। अगर अपने 7 या 21 या 45 व्रत का संकल्प लिया है तो आपको क्रमशः 8 वें या 22 वें या 46 वें बुधवार को व्रत का उद्यापन करना होता है। व्रत के उद्यापन में पूजा पाठ, दान और हवन आदि मुख्य चरण होते हैं। इस पोस्ट में हम पढ़ेंगे की गणेश जी के व्रत का उद्यापन कैसे किया जाता है और जानेंगे की बुधवार व्रत उद्यापन सामग्री में क्या क्या शामिल करें।
बुधवार व्रत उद्यापन सामग्री
बुधवार व्रत उद्यापन सामग्री में लगभग सारी वही वस्तुए शामिल की जाती हैं जो हम हर बुधवार को गणेश जी की पूजा में लेते हैं। लेकिन उद्यापन में कुछ विशेष वस्तुओं को भी शामिल किया जाता हैं इसलिए नीचे दी गई list को ध्यान से पढ़कर एक दिन पहले ही उद्यापन का सारा सामान ले आयें।
- भगवान की मूर्ति :- भगवान गणेश , भगवान बुध या भगवान शिव की प्रतिमा । अगर आपके पास भगवान बुद्ध की मूर्ति या फोटो नहीं है तो भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं।
- चावल/अक्षत :- गणेश जी को कभी सूखे चावल नहीं चढ़ाए जाते, गणपती को गीले और साबुत चावल ( अक्षत ) चढ़ाए जाते हैं।
- पूजा सामग्री :- दीपक, धूप, अगरबती, दूर्वा घास, रोली, मोली, पान , सुपारी , लौंग , इलायची ,कपूर ,जनेऊ, देशी घी और गुड़, पंचामृत, थोड़ी हरे मूंग की दाल।
- पुष्प – गणेश जी को लाल पुष्प चढ़ाएं जाते हैं। उन्हे गुड़हल के फूल, लाल गुलाब और गेंदे का फूल आदि अर्पित किए जाते हैं।
- भोग :- भोग में आप लड्डू, मूंग दाल का हल्वा और अन्य कोई मिठाई ले सकते हैं।
- फल :- फलों में केले, सीताफल, अमरूद आदि ले सकते हैं।
- कलश :- पानी का कलश।
- दक्षिणा :- अपने सामर्थ्य के अनुसार पूजा की थाली में दक्षिणा के पैसे लें।
- हवन की सामग्री :- हवन कुंड, आम की लकड़ी और 1 पैकेट हवन सामग्री ।
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budhwar vrat ka udyapan kaise kiya jata hai बुधवार व्रत उद्यापन की विधि
आपके द्वारा संकल्प लिए व्रत पूरे होने पर व्रत का उद्यापन करें। उद्यापन के मुख्यतः 3 चरण होते हैं पूजा पाठ , हवन, दान और ब्राह्मण भोज। तो आइए जानते हैं बुधवार व्रत उद्यापन की विधि ।
- प्रातः काल की शुरुवात :- उद्यापन के दिन जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर हरे रंग के कपड़े पहनें क्यूंकी हरा रंग गणपती बप्पा का प्रिय रंग है।
- पूजा स्थल स्थापना :- ऊपर बताई गई सारी पूजा की सामग्री पूजा के स्थान पर ले आयें। सबसे पहले लकड़ी की चौकी रखकर उसपर हरे या लाल रंग का कपड़ा बिछा दें।
- पूजा सामग्री शुद्धिकरण :- घर में गंगाजल है तो बहुत ही अच्छा है वरना साफ जल के छींटे देकर पूजा का सामान और स्वयं का शुद्धिकरण करें।
- गणपती मूर्ति स्थापना :- अब चौकी पर थोड़े फूल या अनाज डालकर उस पर गणेश जी की मूर्ति की स्थापना करें। याद रखें गणेश जी की मूर्ति कभी भी सीधे चौकी पर नहीं रखी जाती उन्हे पहले फूलों या अन्न का आसन्न दिया जाता है।
- गणेश जी पंचामृत से स्नान :- सबसे पहले गणेश जी को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराएं। याद रखें की भगवान का दूध शहद आदि किसी भी चीज से अभिषेक करने के बाद हमेशा साफ पानी से स्नान करवाया जाता है।
- गणेश जी को भेंट :- स्नान करवाने के बाद गणेश जी को रोली, मौली भेंट करें। अब लाल चंदन, कुमकुम और हल्दी से प्रभु का तिलक करें। अब अक्षत और दूर्वा घास अर्पित करें। अब पुष्प और मौसम के अनुसार ऋतुफल चढ़ाएं।
- दीपक और आरती :- अब घी का दीपक जलाकर गणेश जी आरती करें।
- भोग :- आरती के बाद गणेश जी को भोग लगाएं। मोदक, मूंग दाल का हलवा जो भी आपने भोग बनाया है वो अर्पित करें।
- बुधवार व्रत कथा का पाठ :- आरती के बाद बुधवार व्रत कथा – गणेश जी की कथा सुनें ।
- बुधवार का बीज मंत्र :- बुधवार के व्रत के दिन पूरे दिन बुधवार के बीज मंत्र का जाप करते रहें। बुधवार का बीज मंत्र ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः है।
- हवन :- गणेश जी कथा के बाद हवन करें। अपनी श्रद्धा अनुसार 11, 51 या 108 आहुति देकर हवन करें और ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः का जाप करते हुए आहुति दें। हवन की सामग्री में आपके द्वारा बनाया गया भोग जरूर मिला लें क्यूंकी ऐसा माना जाता है की भगवान को भोग अग्नि द्वारा ही पहुंचता है।
- उद्यापन :- पूजा पाठ पूरे होने के बाद गणेश जी से अपने व्रत के उद्यापन की इच्छा बोलें। हाथ जोड़कर गणेश जी से प्रार्थना करें की हे गणपती मैंने पूर्ण श्रद्धा भाव और निष्ठा से आपके व्रत किए और अब मैं व्रत का उद्यापन करता/ करती हूँ। अगर मुझसे आपकी पूजा पाठ में कोई गलती हो गई हो तो क्षमा करें और मेरी मनोकामना पूर्ण करें।
- दान :- किसी भी व्रत के उद्यापन में अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान करना बहुत जरूरी होता है। बुधवार के व्रत में हरी वस्तुओं का दान करना चाहिए। बुधवार को हरी मूंग की दाल, हरी सब्जी, हरे वस्त्र आदि दान किए जाते हैं। यह दान आप मंदिर या किसी जरूरमंद को कर सकते हैं। गणेश जी को चढ़ाई हुवी दक्षिणा का भी दान करें। उद्यापन के दिन कांसे के बर्तन का दान भी शुभ माना जाता है।
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निष्कर्ष / सारांश
प्रिय पाठकों । इस post में हमने यह जाना की गणेश जी के व्रत का उद्यापन कैसे किया जाता है। बुधवार व्रत उद्यापन सामग्री में कौन कौन से सामग्री उपयोग होती हैं वह भी हमने जाना। अगर आपको हमारी ये पोस्ट अच्छी लगी हो तो अपने प्रियजनों के साथ जरूर share करें। आपके कीमती सुझाव comment करना ना भूलें।
FAQ’s
बुधवार का उद्यापन कब करना चाहिए?
आपके द्वारा संकल्प लिए हुए व्रत पूर्ण होने पर उससे अगले बुधवार को उद्यापन करें। अगर आपने 7/21/45 बुधवार व्रत का संकल्प लिया है तो क्रमशः 8/22/46 वें बुधवार को गणेश जी के बुधवार व्रत का उद्यापन करें और अपने सामर्थ्य के अनुसार हवन और दान दक्षिणा करें।
क्या हम उद्यापन के बाद खाना खा सकते हैं?
उद्यापन की पूजा सामान्यतया दिन में ही की जाती है इसलिए उद्यापन के बाद खाना नहीं खा सकते हैं। हालांकि आप फल आदि खा सकते हैं। खाना आपको हमेशा की तरह शाम को पूजा के बाद खाना होता है।
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उद्यापन क्यों किया जाता है?
हिन्दू धर्म में मान्यता है की किसी भी व्रत का उद्यापन करने के बाद ही उस व्रत का पूर्ण फल और पुण्य प्राप्त होता है। व्रत रखने के दौरान पूजा पाठ या प्रभु की भक्ति में जाने अनजाने में हमसे अगर कोई गलती हो जाती है तो अंतिम पूजा यानि उद्यापन की पूजा में हम प्रभु से क्षमा याचना करते हैं। उद्यापन में अपने सामर्थ्य के अनुसार दान और हवन किया जाता है। हम व्रत रूपी तपस्या करके प्रभु को प्रसन्न करने का प्रयत्न करते हैं और उद्यापन करके उस तपस्या के फल की प्राप्ति की विनती प्रभु से करते हैं। इसलिए उद्यापन के बिना कोई भी व्रत अधूरा माना जाता है।
किसी भी व्रत का उद्यापन क्यूँ किया जाता है और इसकी विधि क्या है ?
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