aaj kis bhagwan ka din hai- सातों दिनों की व्रत कथाएं

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aaj kis bhagwan ka din hai :- सनातन धर्म में सप्ताह के सातों दिन किसी ना किसी देवता या देवी को समर्पित किये गए हैं। उस दिन हम उस देवता को अपना दिन समर्पित करके उन्हे प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं। मान्यता है की व्रत रखने से इतने पुण्य की प्राप्ति होती है की उसके तेज से प्रभु हमारे द्वारा मांगी गई मनोकामना जरूर पूरी करते हैं।

व्रत रखने के जीतने आध्यात्मिक फायदे हमारे वेद पुराणों में बताए गए हैं उतने ही फायदे विज्ञान हमे बताती है। आपके मन में भी आया होगा की aaj kis bhagwan ka din hai ? तो आइए जानते है कौनसा दिन किन भगवान को समर्पित है और पढ़ते हैं सातों दिनों की व्रत कथाएं

aaj kis bhagwan ka din hai

aaj kis bhagwan ka din hai
aaj kis bhagwan ka din hai

aaj kis bhagwan ka din hai :- सनातन धर्म में सोमवार का दिन भगवान शिव का , मंगलवार का दिन हनुमान जी का , बुधवार का दिन गणेश जी का , बृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु का , शुक्रवार का दिन संतोषी माता और लक्ष्मी माता का , शनिवार का दिन देवों के देव शनि देव का और रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित किया गया है। हिन्दू धर्म के अनुयायी इन दिन व्रत रखकर देवताओं से आशीर्वाद मांगते हैं और व्रत कथाएं सुनते हैं। तो आइए पढ़ते हैं सातों दिनों की व्रत कथाएं

सोमवार व्रत – भगवान शिव को समर्पित

सप्ताह का पहला दिन सोमवार भगवान शिव को समर्पित किया गया है। सोम का अर्थ होता है चंद्रमा । भगवान शिव अपनी जटाओं में चंद्रमा को धारण किये हुवे हैं। इसलिए भगवान शिव को सोमेश्वर की उपाधि भी दी गई है। मान्यता है की सोमवार का व्रत रखने से हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। माना जाता है की माता पार्वती ने स्वयं सोमवार व्रत की शुरुवात की थी ताकि उन्हे भगवान शिव वर के रूप में मिलें। इसलिए अविवाहित युवतियाँ अपना मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए 16 सोमवार का व्रत रखती है। विवाहित महिलाए सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए भगवान शिव का सोमवार का व्रत रखती हैं।

अगर आपने भी सोमवार का व्रत रखा हैं और सोमवार व्रत कथा, सोमवार व्रत विधि के बारे में जानना चाहते हैं तो हमारी नीचे दिए गए link की post पढ़ें।

सोमवार व्रत कथा

सोमवार व्रत के विधि और नियम

सोलह सोमवार व्रत कथा

मंगलवार व्रत – हनुमान जी को समर्पित

मान्यता है की मंगलवार के दिन बजरंग बली का जन्म हुआ था इसलिए मंगलवार का दिन हनुमान जी को समर्पित किया गया है। बजरंग बली बल, साहस, पुरुषार्थ, भक्ति और सेवा के प्रतीक माने जाते हैं। माना जाता है की मंगलवार का व्रत सच्ची भक्ति और श्रद्धा से रखने से हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनकी कृपादृष्टि बनी रहती है।

मंगलवार का व्रत अमंगल को मंगल करने वाला और मनोकामना पूर्ण करने वाला माना जाता है। मंगलवार का व्रत करने से बजरंग बली सारे कायाकष्ट और बीमारी हर लेते हैं। जिनका मंगल गृह कमजोर होता है उनके लिए भी मंगलवार का व्रत बहुत लाभकारी होता है। अगर आपने भी मंगलवार का व्रत रखा है तो नीचे दिए गए link से मंगलवार की व्रत कथा जरूर पढ़ें।

मंगलवार व्रत कथा – हनुमानजी की कथा ।

बुधवार व्रत – गणेश जी को समर्पित

माना जाता है की जब गणेश जी का जन्म हुआ था तब भगवान शिव और माता पार्वती के अलावा वहाँ केवल बुद्धदेव उपस्थित थे। माता पार्वती और भगवान शिव के बाद सबसे पहले बुद्धदेव ने ही गणेश जी को देखा था। इसलिए बुधवार का दिन गणेश जी को समर्पित हुआ। इस दिन बुद्धदेव और गणेश जी दोनों की पूजा भी की जा सकती है।

बुधवार का व्रत करने से हमारी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और घर में सुख शांति रहती है और समृद्धि आती है। बुधवार का व्रत रखने से बुद्धि बल का विकास होता है। अगर आपने भी गणपती बप्पा को प्रसन्न रखने के लिए व्रत रखा है तो गणेश जी पूजा अर्चना के बाद बुधवार की गणेश जी की कथा जरूर पढ़ें। कोई भी व्रत की पूजा व्रत कथा के बिना अधूरी मानी जाती है।

बुधवार व्रत कथा – गणेश जी की व्रत कथा ।

बृहस्पतिवार व्रत – भगवान विष्णु को समर्पित

बृहस्पतिवार का दिन सृष्टि के रचीयता भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन देवताओं के गुरुदेव बृहस्पति और भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। घर में सुख शांति और मनोकामना पूर्ण करने के लिए हम गुरुवार को भगवान विष्णु का व्रत रखते हैं। बृहस्पतिवार का व्रत किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले बृहस्पतिवार से आरंभ करना शुभ माना जाता है। माना जाता है की अगर अविवाहित युवक युवतियाँ गुरुवार का व्रत सच्चे मन से करें तो विवाह जल्द होने के संजोग बनते हैं।

बृहस्पति व्रत कथा – भगवान विष्णु की कथा ।

बृहस्पतिवार व्रत के नियम और विधि – गुरुवार को क्या करें और क्या ना करें।

शुक्रवार व्रत – संतोषी माता और वैभव लक्ष्मी को समर्पित

केवल शुक्रवार का ऐसा दिन है जो किसी देव को नहीं बल्कि दो देवियों को समर्पित है। शुक्रवार के दिन संतोषी माता और लक्ष्मी माता का व्रत रखा जाता है।

संतोषी माता गणेश जी की पुत्री और भगवान शिव और माँ पार्वती की पौत्री है। स्वभाव से निर्मल माता संतोषी का व्रत रखने से भक्तों के जीवन में शांति आती है और सारी विपदाएं दूर होती है। इस दिन भक्त खीर और गुड़ का भोग लगाकर माता से शांत और सुखी जीवन की कामना करते हैं।

संतोषी माता व्रत कथा – शुक्रवार व्रत कथा ।

शुक्रवार के दिन लक्ष्मी माता की स्तुति में वैभव लक्ष्मी का व्रत किया जाता है। मान्यता है की वैभव लक्ष्मी का व्रत रखने से घर के सारे आर्थिक संकट दूर हो जाते हैं और धन वैभव की प्राप्ति होती है। दिन में केवल एक बार अन्न गृहण करने भक्त इस दिन माता लक्ष्मी की पुजा करते हैं और वैभव लक्ष्मी व्रत कथा सुनते हैं।

वैभव लक्ष्मी व्रत कथा ।

शनिवार व्रत – शनिदेव को समर्पित

देवों के देव सूर्यपुत्र शनि देव को शनिवार के दिन पूजा जाता है। शनि देव सबसे शीघ्र क्रोधित होने वाले देवता माने जाते हैं इसलिए हर कोई इनके प्रकोप से बचना चाहता है। जिनका शनि गृह कमजोर है या जिनकी शनि की साढ़े साती लगी है उनके लिए शनिवार का व्रत सर्वोतम माना जाता है। शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है इसलिए शनिवार के दिन शनिदेव से प्रार्थना करते हैं की वो सबको न्याय प्रदान करें।

शनिवार व्रत कथा- शनिदेव की कथा ।

शनिवार व्रत के फायदे ।

शनिवार व्रत का भोजन – शनिवार को क्या खाएं और क्या नहीं खाएं ।

रविवार व्रत – सूर्य देव को समर्पित

रविवार को सूर्यदेव की पूजा की जाती है। सूर्य को प्रकृति की आत्मा कहा जाता है। रविवार को सूर्यदेव का व्रत करने से उत्तम स्वास्थ्य , शत्रुओं का नाश और मान सम्मान की प्राप्ति होती है। सूर्य देव का व्रत 12 या 30 रविवार का क्रमबद्ध किया जाए तो हमे सूर्यदेव का आशीर्वाद प्राप्त होता है और हमारी मनोकामना पूर्ण होती है। माना जाता है की केवल सूर्यदेव का व्रत रखने से ही सभी गृहों की कृपा हमें प्राप्त होती है। इसलिए रविवार को पूर्ण निष्टा से सूर्यदेव का व्रत रखें और उनकी पूजा अर्चना के बाद सूर्यदेव की रविवार की कथा सुने।

सूर्यदेव की कथा – रविवार की कथा

कौन सा दिन किस देवता का है images

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कौन सा दिन किस देवता का है images

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