ravivar vrat udyapan kaise karen :-सनातन धर्म में मान्यता है की किसी भी व्रत को तब तक पूर्ण नहीं माना जाता है जब तक उस व्रत का उद्यापन नहीं किया जाता है। व्रत के उद्यापन में हम प्रभु से कामना करते है की की हमने अपने संकल्प लिए हुवे व्रत पूर्ण कर लिए है और हे प्रभु हमारी मनोकामना पूर्ण करो। रविवार व्रत भगवान सूर्य को समर्पित होता है। भगवान सूर्य के व्रत उद्यापन में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना होता है। इस post में हम जानेंगे की व्रत का उद्यापन क्या होता है और रविवार के व्रत का उद्यापन घर पर कैसे करें।
उद्यापन क्या है ?
जातक जब कोई भी व्रत रखना शुरू करता है तो पहले व्रत में वह संकल्प लेता है की वह कितने व्रत रखेगा। जैसे आपने रविवार का व्रत का संकल्प लिया की आप 12 रविवार तक सूर्यदेव का व्रत रखेंगे। यह संकल्प जब आप व्रत शुरू करें उस पहले रविवार को लेना होता है। अब जब आपके 12 रविवार के व्रत पूरे हो जाए तो 13 वें रविवार को आप व्रत का उद्यापन करेंगे। उद्यापन की विधि क्या है, रविवार व्रत उद्यापन सामग्री क्या लगेगी वो हम इस पोस्ट में पढ़ेंगे।
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रविवार व्रत उद्यापन सामग्री
रविवार व्रत के उद्यापन की सूर्यदेव की पूजा लगभग वैसी ही होती है जैसे हम हर रविवार को करते आए हैं। लेकिन इसमे कुछ विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है जो उद्यापन में जरूर लें। तो आइए जानते हैं रविवार व्रत उद्यापन सामग्री
- मूर्ति / फोटो :- सूर्य भगवान की ऐसी मूर्ति या फोटो में जिसमें वह रथ पर हों। गणेश जी की मूर्ति/ फोटो।
- लकड़ी की चौकी , पंचामृत, गंगाजल, नैवेद्य ।
- तांबे का कलश :- सूर्यदेव को जल का अर्ग हमेशा तांबे के कलश में दिया जाता है।
- धूप दीपक :- सनातन धर्म में किसी भी पूजा में दीपक जरूर जलाया जाता है। इसलिए धूप, अगरबती, दीपक,देशी घी आदि जरूर लें। दीपक जलाकर हम भगवान से कामना करते है की हमारी पूजा निर्विघ्न सम्पन्न हो।
- गेंहू :- सूर्यदेव की पूजा में गेंहू का विशेष महत्व है। इस दिन गेंहू का भोजन बनाया जाता है, दान किया जाता है और पूजा में भी लिया जाता है।
- नारियल :- रविवार के व्रत के उद्यापन में पानी वाला नारियल लिया जाता है। उसपे मौली बांध लें।
- लाल रंग का वस्त्र :- लाल रंग सूर्यदेव का प्रिय रंग है। इसलिए सूर्यदेव की पूजा में लाल रंग का कपड़ा अवश्य लें। आप सवा मीटर कपड़ा ले सकते हैं।
- लाल पुष्प :- सूर्यदेव की पूजा में लाल रंग के पुष्प अर्पित किए जाते हैं। गुड़हल के लाल फूल सूर्यदेव को सबसे अधिक प्रिय हैं। अगर गुड़हल के ना है तो आप लाल रंग के दूसरे फूल जैसे गुलाब आदि भी ले सकते हैं।
- लाल चंदन और गुड़ :- लाल चंदन और गुड़ भी पूजा में जरूर शामिल करें। अगर आपके पास गुड़ नहीं है तो अन्य कोई मिठाई भी ले सकते हैं।
- भोग :- सूर्यदेव को भोग में खीर और गेंहू के आटे का हल्वा भेंट किया जाता है।
- दक्षिणा/ रुपये :- हर पूजा में दक्षिणा जरूर अर्पित की जानी चाहिए। माना जाता है की अगर हमसे पूजा में कोई कमी रह जाए तो हमारे द्वारा चढ़ाई गई दक्षिणा उस कमी की पूर्ति करती है।
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ravivar vrat udyapan kaise karen रविवार व्रत उद्यापन विधि इन हिंदी
ऊपर बताई गई सामग्री लेने के बाद अब हम रविवार व्रत उद्यापन विधि पढ़ेंगे।
- सुबह की शुरुवात :- रविवार के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकल स्नान आदि करने लाल रंग के स्वच्छ कपड़े पहने। नहाने के बाद लाल चंदन का तिलक जरूर लगाएं।
- सूर्यदेव को अर्ग :- नहाने के बाद तांबे के कलश में अक्षत, लाल पुष्प, रोली आदि डालकर सूर्यदेव को जल का अर्ग दें और सूर्यमंत्र का जप करें। ओम् नमो भगवते श्री सूर्याय क्षी तेजसे नम: ओम् खेचराय नम: ।
- मूर्ति स्थापना :-पूजा स्थल को गंगाजल के छींटे देकर शुद्ध कर लें और लकड़ी की चौकी स्थापित करके उसपर लाल रंग का वस्त्र बिछाए। अब अष्टदल कमल बनाकर उसपर सूर्यदेव की प्रतिमा स्थापित करें। गणेश जी की प्रतिमा को फूलों का आसन्न देकर स्थापित करें। किसी की भी देवी देवता की मूर्ति को सीधे चौकी पर नहीं रखा जाता है पहले उन्हे आसन्न देना होता है। आसन्न आप फूलों का या किसी अनाज गेंहू आदि का दे सकते हैं।
- पूजा सामान स्थापना :- मूर्ति स्थापना के बाद बाकी पूजा सामग्री का सामान चौकी पर रखें। जल के कलश पर नारियल रखकर उसे भी चौकी पर रखें।
- शुद्धिकरण :- अगर गंगाजल है तो अच्छा है नहीं तो साधारण जल के छींटे देकर पूजा सामग्री का शुद्धिकरण करें। इसके बाद खुद पर भी जल के छींटे देकर शुद्धिकरण करें।
- गौरी गणेश पूजा :- किसी भी पूजा में सबसे पहले गणेश जी पूजा होती है। इसलिए गौरी पुत्र गणेश जी की पंचोपचार से विधिवत पूजा करें। पंचोपचार में धूप, दीप, पूष्प, गंध, एवं नैवेद्य का उपयोग किया जाता है।
- सूर्य पूजा :- गणेश जी पूजा के बाद भगवान नारायण की पूजा करें। भगवान सूर्य की मूर्ति को स्नान कराने के बाद चंदन, रोली, अक्षत, जनेऊ आदि अर्पित कर फूल-फल, भोग और पंचामृतआदि अर्पित करके प्रणाम करें।
- व्रत कथा :- सूर्य पूजा के बाद रविवार व्रत कथा सुने ।
- भोग :- पूजा के बाद सूर्यदेव को खीर और गेंहू के आटे का भोग लगाए एवं प्रसाद वितरित करें।
- अर्ग :- पूजा सम्पन्न होने के बाद सूर्यदेव को अर्ग दें। जल में अक्षत, लाल पुष्प, रोली आदि डालकर सूर्यदेव को जल का अर्ग दें और सूर्यमंत्र का जप करें।
- दान :- सूर्य उद्यापन में अपने सामर्थ्य के अनुसार दान दक्षिणा जरूर करें। इस दिन गेंहू, गुड़, लाल कपड़ा, तांबे के बर्तन और दक्षिणा आदि अपनी जरूर दान करें। यह दान आप किसी जरुरतमन्द को कर सकते हैं या किसी मंदिर में भी कर सकते हैं।
- ब्राह्मण भोजन :- रविवार व्रत के उद्यापन में कम से कम 12 ब्राह्मणों को भोजन जरूर करवाएं। अगर 12 ब्राह्मण ना मिले तो छोटे बालकों को भी भोजन करवा सकते हैं ।
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ravivar vrat ke fayde रविवार व्रत के लाभ
रविवार व्रत भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस व्रत को पूर्ण श्रद्धा और भक्ति से करने से हमें परम पुण्य की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं रविवार व्रत के लाभ क्या क्या हैं।
- सुख समृद्धि :- रविवार का व्रत करने से सूर्यदेव की कृपा से जातक के जीवन में सुख समृद्धि आती है, मान सम्मान बढ़ता है और पद प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
- शत्रु रक्षा :- रविवार का व्रत जातक की उसके शत्रुओं से सुरक्षा करता है।
- नौकरी/रोजगार की प्राप्ति :- सूर्यदेव की उपासना से नौकरी मिलती हैं और व्यापार में भी फायदा होता है।
- संतान सुख :- ऐसा माना जाता है की अगर कोई निसन्तान स्त्री रविवार के व्रत को निरंतर और पूरी श्रद्धा से करें तो उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है।
- निरोगी काया :- सूर्यदेव की पूजा से जातक का शरीर निरोगी रहता है,सारे काया कष्ट दूर होते हैं और उतमं स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। रविवार का व्रत विशेषकर चर्मरोग और नेत्ररोग से राहत प्रदान करता है।
- मोक्ष प्राप्ति :- रविवार व्रत के लाभ में मोक्ष प्राप्ति सबसे सर्वोपरी लाभ माना जाता है। माना जाता है की सूर्यदेव की स्तुति में रविवार का व्रत करने से जातक को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- दीर्घायु :- अगर जातक का सूर्य कमजोर है तो रविवार का व्रत जरूर करें। रविवार का व्रत सूर्य के नकारात्मक पक्ष को कम करता है और जातक को दीर्घायु देता है।
निष्कर्ष / सारांश
इस पोस्ट में हमने आपको बताया की रविवार व्रत उद्यापन सामग्री क्या है और रविवार व्रत उद्यापन विधि इन हिंदी के बारें में हमने जाना । साथ ही हमने जाना की ravivar vrat ke fayde क्या हैं। अगर आपको हमारी ये post अच्छी लगी तो अपनें दोस्तों आदि में जरूर शेयर करें। अगर आपका कोई सुझाव है तो comment करके हमें जरूर बताए।
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