tulsi ke pass kya nahin rakhna chahiye : तुलसी के पौधे में माता लक्ष्मी का वास माना जाता है इसलिए तुलसी का पौधा माता लक्ष्मी के रूप मे पूजा जाता है। लेकिन हमे इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए की तुलसी के पास किन वस्तुओं को रखें और किन वस्तुओं को तुलसी से हमेशा दूर ही रखें ।
tulsi ke pass kya nahin rakhna chahiye
तुलसी माता का पौधा बहुत पवित्र माना जाता है क्यूंकी इसमे साक्षात माता लक्ष्मी का वास होता है। जिस घर में तुलसी का वास होता है उस घर में हमेशा समृद्धि आती है और सारे कष्ट दूर रहते हैं। लेकिन भूलकर भी माता तुलसी के पास निम्न चीजे नहीं रखनी चाहिए क्यूंकी इसे तुलसी अपमान माना जाता है और घर से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद हटता है।
- माता तुलसी का स्थान मंदिर की तरह पवित्र माना जाता है। इसलिए तुलसी के पास कभी भी गंदगी नहीं होनी चाहिए। घर में जहां तुलसी वास है वो स्थान हमेशा साफ सुथरा रखें।
- तुलसी वास के पास कभी जूते चपल नहीं खोलने चाहिए।
- तुलसी माता के पास कभी भगवान शिव का शिवलिंग नहीं रखना चाहिए। प्राचीन मान्यता है की माता तुलसी जिनका नाम वृंदा था, उनके पति असुर जालंदार का वध भगवान शिव ने किया था। इसलिए तुलसी के पौधे के पास कभी शिवलिंग नहीं स्थापित किया जाता।
- तुलसी के पौधे के पास झाड़ू नहीं रखनी चाहिए। झाड़ू से हम घर का कचरा और गंदगी साफ करते है इसलिए जिस तरह हम मंदिर के पास कोई अशुद्ध चीज नहीं रखते उसी तरह तुलसी जी के पास भी झाड़ू नहीं रखनी चाहिए।
- तुलसी के पौधे के पास काँटेदार पौधे नहीं लगाने चाहिए।
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kya kunwari ldki tulsi ko jal chadhana chahie
हाँ, अविवाहित लड़की भी तुलसी माता के पौधे में पानी दे सकती है। माना जाता है की कुंवारी लड़कियां अगर तुलसी माता की पूजा करती हैं तो उन्हे मनचाहा वर मिलता है। अगर किसी कुंवारी लड़की की शादी में बाधा आ रही है तो तुलसी पूजा करने से उनका विवाह जल्दी हो जाता है।
क्या तुलसी विवाह के दौरान नॉन वेज खा सकते हैं?
नहीं, तुलसी विवाह के दौरान nonvage कभी नहीं खाना चाहिए। हिन्दू धर्म में तुलसी विवाह बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। देवउठनी एकादशी के अगले दिन तुलसी शालिग्राम विवाह करवाकर सभी शुभ कार्य आरंभ किए जाते हैं । ऐसे पवित्र पर्व पर अनैतिक आचरण करना और मदिरा पान , nonvage आदि करने से हमारे कोई भी कार्य सार्थक नहीं होंगे और न ही तुलसी विवाह का पुण्य मिलेगा।
तुलसी को रात में क्यों नहीं छूना चाहिए?
प्राचीन ग्रंथों के अनुसार तुलसी, लक्ष्मी का अवतार मानी जाती है। रात को तुलसी को पौधे को छूने से माता लक्ष्मी क्रोधित हो जाती हैं। माता लक्ष्मी के नाराज होने से घर में धन संपदा की हानि होती है और आर्थिक संकट आता है।
तुलसी के पत्ते तकिए के नीचे रखकर सोने से क्या होता है?
हिन्दू धर्म में तुलसी का पौधा बहुत ही पवित्र और पूजनीय माना जाता है। तुलसी के पौधे में माता लक्ष्मी का वास माना जाता है। माना जाता है की तुलसी के पत्ते तकिए के नीचे रखकर सोने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसलिए आप मानसिक तनाव के शिकार हैं और मन में नकारात्मक विचार आते हैं तो रात को सोते समय तकिए के नीचे तुलसी मे पत्ते रखकर सोये। मान्यता है की तुलसी के पौधे की सकारात्मक ऊर्जा और पवित्रता आपको सद्बुद्धि प्रदान करती है और जीवन से नकारात्मक तत्वों को दूर रखती है।
क्या रविवार को तुलसी में दीपक जलाना चाहिए?
नहीं, रविवार को तुलसी में दीपक नहीं जालना चाहिए। मान्यता है की रविवार के दिन माता तुलसी भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती है। अगर हम माता तुलसी की रविवार को दीपक जलाकर पूजा करते है तो वह व्रत भंग माना जाता है। इसलिए माता तुलसी का भगवान विष्णु के लिए किया गया व्रत ना टूटे इसलिए रविवार को माता तुलसी का दीपक नहीं जलाते ।
तुलसी को घर के बाहर क्यों रखा जाता है?
तुलसी माता घर में सकारात्मक ऊर्जा लाती है एवं बुरी और नकारात्मक शक्तियों को घर से दूर रखती है। इसलिए बुरी शक्तियां घर में घुस ही पाए और घर के दरवाजे से ही लौट जाए इसलिए माता तुलसी का पौधा घर में घुसते ही आँगन मे लगाया जाता है।
तुलसी कौन से भगवान को नहीं चढ़ती है?
तुलसी भगवान गणेश को नहीं चढ़ती है। प्राचीन मान्यता के अनुसार तुलसी ने तपस्या करते भवन गणेश की तपस्या भंग कर दी थी और उनके साथ विवाह प्रस्ताव रखा था। लेकिन भगवान गणेश तपस्या भंग होने से क्रोधित हो गए और विवाह प्रस्ताव ठुकरा दिया।गणेश जी ने कहा मैं आपसे विवाह नहीं कर सकता क्यूंकी मैंने जीवन भर ब्रह्मचारी रहने का संकल्प लिया है। तब क्रुद्ध तुलसी ने गणेश जी को 2 विवाह होने का श्राप दिया और कहा की आप जीवन में ब्रह्मचारी नहीं रह पाओगे। गणेश जी ने भी तुलसी को एक असुर से विवाह होने का श्राप दिया। इसलिए गणेश जी को तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है।
तुलसी देवी का पति कौन है?
माता तुलसी के पति असुर जालंदर थे। तुलसी का असली नाम वृंदा था और गणेश जी के श्राप के कारण उनका विवाह एक असुर से हुआ था। जालंदर का भगवान शिव के हाथों वध होने के बाद वृंदा ने आत्मदाह कर लिया था। जिस जगह उन्होंने आत्मदाह किया वहाँ तुलसी का पौधा प्रकट हुआ इसलिए वृंदा को तुलसी माता के नाम से पूजते हैं।
तुलसी माता का असली नाम क्या था?
तुलसी माता का असली नाम वृंदा था। देवी वृंदा का विवाह असुर जालंदर से हुआ था। वृंदा के पतिव्रत धर्म के कारण जालंदर असुर होने के बावजूद, अजेय हो गया था। तब भगवान विष्णु ने ऋषि अवतार लिया और वृंदा का पतिव्रत धर्म भंग कराया था।
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