brihaspativar vrat udyapan vidhi in hindi :- सबसे पहले आपको अपने संकल्प लिए हुए बृहस्पतिवार व्रत पूरे करने पर बहुत बहुत बधाई हो। भगवान विष्णु आपकी हर मनोकामना पूर्ण करें। संकल्पित व्रत पूरे करना जितना जरूरी है उतना ही जरूरी है व्रत का सही से उद्यापन करना। इस post में हम आपको गुरुवार व्रत उद्यापन की सामग्री और उद्यापन की पूर्ण विधि बताएंगे।
उद्यापन का मतलब क्या होता है।
आपके द्वारा संकल्प लिए हुवे व्रत जब आप कर लेते हैं तो अंतिम व्रत की पूजा ही व्रत का उद्यापन कहलाती है। मन लीजिए अपने 11 बृहस्पतिवार का संकल्प लिया था तो 12 वें बृहस्पतिवार की व्रत पूजा ही व्रत का उद्यापन कहलाती है। इस अंतिम पूजा को पूर्ण विधि विधान से करके हम भगवान से अपनी मनोकामना पूर्ण होने की प्रार्थना करते हैं और जाने अनजाने में अगर हमसे व्रत के दौरान कोई गलती हो गई हो तो क्षमा याचना करते हैं।
यह भी पढ़ें – बृहस्पतिवार व्रत के नियम – गुरुवार को क्या करें और क्या नहीं करना चाहिए।
यह भी पढ़ें – बृहस्पतिवार व्रत का भोजन ।
गुरुवार व्रत उद्यापन सामग्री guruvar vrat udyapan samagri
guruvar vrat udyapan samagri :- बृहस्पतिवार व्रत के उद्यापन की पूजा में बैठने से पहले में नीचे दी सामग्री जरूर लें। इसमे से कुछ सामग्री पूजा के काम आती है और कुछ सामग्री दान में देनी होती है।
- भगवान बृहस्पति, भगवान विष्णु , माता लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति या फोटो
- केले का पेड़
- दान करने के लिए – सवा किलो चने की दाल , सवा किलो गुड़ ,सवा मीटर पीला कपड़ा, सवा किलो या सवा दर्जन केले , दक्षिणा
- मुन्नका , 2 सबूत सुपारी , केले , थोड़ी भीगी हुई चने की दाल
- बेसन से बनी हुई कोई पीली मिठाई जैसे बेसन के लड्डू
- घी का दीपक, धूप , पूजा की घंटी
- कच्चे आटे की लोई ( गाय को खिलाने के लिए )
- पान या केले के पते , पीले पुष्प
- लकड़ी की चौकी, पीला कपड़ा ( चौकी पर बिछाने के लिए )
- पीला जनेऊ , थोड़ी हल्दी और सिंदूर
- जल का लोटा या कलश
brihaspativar vrat udyapan vidhi in hindi
ऊपर बताई गई सामग्री लेने के बाद बृहस्पतिवार व्रत उद्यापन की पूजा शुरू करें।
- बृहस्पतिवार को प्रातःकाल जल्दी उठकर नहाकर स्वच्छ पीले कपड़े पहले और भगवान विष्णु को प्रणाम करें।
- पूजा के स्थान पर लकड़ी की चौकी स्थापित करके उस पर पीला वस्त्र बिछाए।
- अगर आपके घर में केले का पेड़ नहीं है तो केले का पौधा गमले मे ले आयें। अब चौकी के पास ही केले के पौधे के गमले को स्थापित करें।
- चौकी पर भगवान बृहस्पति की फोटो स्थापित करें। पान का पता रखकर उसपर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें।
- अब कलश की स्थापना करें। कलश के जल में थोड़ा गंगाजल , थोड़ी हल्दी , थोड़ी चने की दाल और थोड़ा गुड़ डालें। कलश के ढकन पर थोड़ी भीगी हुई चने की दाल दाल रख दें। अब फूलों का आसन्न देकर कलश की स्थापना करें।
- अब पान के एक पते पर गणेश जी की स्थापना करें। अगर पान का पता न हो तो केले के पते पर भी आप गणेश जी की स्थापना कर सकते हैं। इसी पते पर माता लक्ष्मी की मूर्ति भी रखें।
- अब पीले पुष्प से चौकी पर गंगाजल या शुद्ध जल के छींटे देकर शुद्धिकरण करें।
- अब सबसे पहले भगवान गणेश का पूजन करें। पूजन में गणेश जी को चने की दाल, पुष्प, हल्दी, सुपारी ,मौली और जनेऊ अर्पित करें।
- भगवान विष्णु की पूजा केले के पौधे में की जाती है। केले के पौधे को जल अर्पण करें और विधिवत पूजा करें। केले के पौधे को पीली जनेऊ या हल्दी लगी जनेऊ अर्पित करें। मौली, पीले पुष्प, केला और चने की दाल अर्पित करें। आप पीले पुष्पों की माल भी ले सकती हैं। भगवान के भोग में पीले रंग की मिठाई चढ़ाएं। अब गमले में जगह है तो वहाँ, नहीं तो पौधे के पास जमीन पर हल्दी से स्वास्तिक बनाएं।
- स्वास्तिक पर भी पीले पुष्प, मुन्नका ,चने की दाल अर्पित करके सभी देवताओं का आव्हान करें।
- अब भगवान बृहस्पति की पूजा करें। उनकी फोटो के आगे एक पान का पता रखकर पते पर मुन्नका, हल्दी, चने की दाल और गुड अर्पित करें। यही प्रसाद आप बाद में अपने परिवार में बाँटे ।
- अब भगवान बृहस्पति की पूजा आरती करें और उसके बाद बृहस्पतिवार व्रत कथा सुने।
- पूजा के बाद आटे के लोई को गाय को खिलाएं। लोई पर थोड़ा घी, 1 मुनक्का, थोड़ी चने की दाल भी रखें तो और भी अच्छा होगा।
- अब दान करने के लिए सवा मीटर पीला कपड़ा, सवा किलो केले, सवा किलो चने की दाल, सवा किलो गुड़ लें। यह दान आपको अपने गुरु या गुरु तुल्य छवि के व्यक्ति को करना होता है। अगर आपको कोई ऐसा व्यक्ति नही मिलता है तो मंदिर में ब्राह्मण को भी यह दान कर सकते हैं।
गुरुवार का उद्यापन कब करना चाहिए 2023
गुरुवार के व्रत का उद्यापन आपके द्वारा संकल्प लिए हुए गुरुवार पूर्ण होने के अगले गुरुवार को करें। अगर आपने 16 गुरुवार व्रत का संकल्प लिया है तो 17 वे गुरुवार को व्रत का उद्यापन करें एवं भगवान विष्णु की पूर्ण विधि विधान से पूजा करें। यही अंतिम पूजा व्रत का उद्यापन कहलाती है। आप पहले से निश्चित नहीं कर सकते की आप गुरुवार व्रत का उद्यापन कब करेंगे। बस जब आपके संकल्प लिए व्रत पूर्ण हो जाए उससे अगले गुरुवार को उद्यापन करें। फिर चाहे कृष्ण पक्ष हो या शुक्ल पक्ष या कोई भी माह हो।
गुरुवार का उद्यापन कौन से पक्ष में करना चाहिए?
गुरुवार के व्रत का उद्यापन कौनसे पक्ष में करना चाहिए यह आप पहले से निश्चित नहीं कर सकते हैं। आपको अपने व्रत का उद्यापन तब करना चाहिए जब आपके द्वारा संकल्प लिए हुए व्रत पूर्ण हो जाएं । मान लीजिए आपने 16 बृहस्पतिवार व्रत का संकल्प लिया है तो 17 वें बृहस्पतिवार को आपको व्रत का उद्यापन करना है भले ही वह शुक्ल पक्ष में आए या कृष्ण पक्ष में।
यह भी पढ़ें :- शनिवार व्रत के उद्यापन की विधि और सामग्री ।
यह भी पढ़ें :- मंगलवार व्रत के उद्यापन की विधि और सामग्री लिस्ट ।
यह भी पढ़ें :- रविवार व्रत के उद्यापन की विधि और सामग्री ।
यह भी पढ़ें :- 16 सोमवार व्रत के उद्यापन क सम्पूर्ण विधि और सामग्री लिस्ट ।
चेतावनी – इस artical में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। यह जानकारी लेखक द्वारा विभिन्न माध्यमों से एकत्रित कर पाठकों तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।