mangalwar vrat katha | hanuman ji ki katha | mangalwar vrat ke 7 fayde

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mangalwar vrat katha : मंगलवार का दिन हनुमानजी को समर्पित माना जाता है। हनुमानजी हर कष्ट को हरने वाले माने जाते हैं। इसलिए बजरंग बलि के भक्त मंगलवार के दिन व्रत रखकर भगवान हनुमानजी से जीवन में खुशहाली, सम्मान, बल और तामसिक शक्तियों से रक्षा की कामना करते हैं। इस दिन व्रत रखकर mangalwar vrat katha सुनी जाती है।

mangalwar vrat katha हनुमान जी की कथा

mangalwar vrat katha हनुमान जी की कथा : – प्राचीन काल में किसी नगरी में एक ब्राह्मण और उसकी पत्नी निवास करते थे। ब्राह्मण दंपति बहुत ही धार्मिक भाव के थे और दोनों बहुत ही सात्विक जीवन यापन करते थे। मांस मदिरा आदि तामसिक चीजों से दूर रहते थे। ब्राह्मण दंपति के कोई संतान नहीं थी। निसन्तान होने का दुख उन्हे अंदर ही अंदर खोखला कर रहा था। सारे विधि विधान करने के बाद भी संतान प्राप्ति की उनकी कामना पूर्ण नहीं हो रही थी।

ब्राह्मण दंपति ने संतान प्राप्ति हेतू हनुमान जी को प्रसन्न करने का निश्चय किया। ब्राह्मण रोज घने वन में जाकर तपस्या करता और हनुमान जी की स्तुति करता। ब्राह्मण की पत्नी भी घर पर रहकर हनुमान जी की आराधना करने लगी और हर मंगलवार को व्रत रखने लगी। मंगलवार के दिन जब तक वह हनुमान जी को भोजन का भोग न लगती तब तक भोजन नहीं करती ।

समय निकलता गया और दोनों हनुमान जी से संतान प्राप्ति की कामना करते रहे। एक बार घर में अनाज नहीं होने के कारण ब्राह्मण की पत्नी मंगलवार को भोजन नहीं बना पाई और हनुमानजी को भोग नहीं लगा। अपनी गरीबी के कारण वह भगवान को भी भोग नहीं लगा पाई इस बात से वह बहुत व्यथित हो गई। उसने निश्चय किया की जब तक हनुमान जी को भोग नहीं लगाएगी तब तक अन्न गृहण नहीं करेगी।

उस दिन से ब्राह्मण की पत्नी भूखी प्यासी हनुमानजी के चरणों में पड़ी रही। ब्राह्मण से अपनी पत्नी की ये पीड़ा देखी नहीं गई और वह अन्न जुटाने के लिए नगरी में निकल पड़ा । 5, 6 दिन निकल गए और अंततः ब्राह्मण ने मेहनत करके थोड़ा धन कमाया। कमाए हुए धन से वह अनाज दाल चावल आदि लेकर खुशी खुशी अपने घर आ गया। ब्राह्मण की पत्नी का भूख प्यास से बुरा हाल था। अपने पती द्वारा लाए अन्न और खाने के सामान को देखकर वह बहुत प्रसन्न हुई और तुरंत भोजन बनाकर हनुमानजी को भोग लगाया। हनुमान जी को भोग लगाने के प्रण को पूरा करके ही ब्राह्मण और उसकी पत्नी से खुद भोजन किया।

ब्राह्मणी की इस कठिन तपस्या और निष्ठा को देखकर अंततः हनुमान जी बहुत प्रसन्न हुए । हनुमान जी ने प्रसन्न होकर ब्राह्मणी को दर्शन दिए और उसकी कठिन तपस्या के फलस्वरूप पुत्र रत्न प्रदान किया। हनुमान जी ने ब्राह्मण की पत्नी को आशीर्वाद दिया की उसका पुत्र बहुत तेजस्वी होगा और धर्म शास्त्रों का बहुत बड़ा ज्ञानी बनेगा। ब्राह्मण की पत्नी ने अपने पुत्र का नाम मंगल रखा। ब्राह्मण की पत्नी को दर्शन और खुशहाली भरे जीवन का आशीर्वाद देकर हनुमान जी अंतर्ध्यान हो गए।

जब ब्राह्मण घर आया तो उसकी पत्नी ने उसे पूरा व्रतांत सुनाया की कैसे हनुमान जी ने उसे दर्शन देकर पुत्र प्रदान किया। अपनी पत्नी की सारी बात सुनकर भी ब्राह्मण को उस पर विश्वास नहीं हुआ। बिना गर्भधारण के अचानक पुत्र को देखकर ब्राह्मण अपनी पत्नी पर विश्वास न कर सका। उस दिन के बाद से ब्राह्मण अपनी पत्नी से थोड़ा रुष्ट रहने लगा।

एक दिन मंगल को भ्रमण कराने के बहाने ब्राह्मण उसे बाहर वन में ले गया और उसे एक गहरे कुएं में गिरा दिया। ब्राह्मण जैसे ही घर पहुंचा सामने मंगल खड़ा था। ब्राह्मण को अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ। इतने गहरे कुएं से कैसे कोई जिंदा बचकर आ सकता है। मंगल को देखकर ब्राह्मण को विश्वास हुआ की मंगल सचमुच चमत्कारी बालक है। उसी रात स्वप्न में उसे हनुमान जी के दर्शन हुए और स्वयं भगवान हनुमान ने उसे बताया की उन्होंने ही उसे पुत्र रत्न दिया है।

अगली सुबह उठकर ब्राह्मण ने अपनी पत्नी से माफी मांगी और मंगल को अपना पुत्र स्वीकार कर लिया। उस दिन के बाद से ब्राह्मण दंपति खुशी पूर्वक अपने पुत्र के साथ अपना जीवन यापन करते रहे। हनुमान जी की कृपा हमेशा उनके परिवार पर बनी रहे इसलिए हमेशा मंगलवार का व्रत उसी निष्ठा से करते रहे।

हे बजरंग बलि जी तरह ब्राह्मण और उसकी पत्नी पर आपका आशीर्वाद हमेशा बना रहा उसी तरह इस कथा को सुनने वाली सभी व्रताओं पर अपना आशीर्वाद हमेशा बनाए रखें। अगर हमसे जाने अनजाने में आपकी पूजा अर्चना में कोई भूल हो गई है तो हमे क्षमा करें।

यह भी पढ़ेंमंगलवार व्रत का भोजन ।

यह भी पढे :- हनुमान जी प्रसाद में क्या क्या चढ़ाया जाता है ।

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मंगलवार के व्रत में हनुमान जी की पूजा अर्चना करने के बाद उनकी कथा पढ़ने से ही पूर्ण पुण्य की प्राप्ति होती है। हनुमान जी की कथा हिन्दी में pdf download करने के लिए नीचे दिए गए link पर click करें।

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mangalwar vrat ke 7 fayde

mangalwar vrat ke fayde
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  • बजरंग बली बल और साहस के प्रतीक माने जाते हैं। बजरंग बली के भक्तों से भूत प्रेत आदि नकारात्मक शक्तियां कोसों दूर रहती हैं।
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगलवार का व्रत करने से जिनका मंगल गृह कमजोर होता है उनका मंगल शांत होता है।
  • जिस तरह हनुमानजी ने ब्राह्मण दंपति को एक पुरुषार्थी पुत्र दिया था उसी तरह इस दिन व्रत रखने से बलशाली और पुरुषार्थी संतान की प्राप्ति होती है।
  • मंगलवार का व्रत सुख और अतुल्य आर्थिक समृद्धि लाता है।
  • बजरंग बली की भक्ति से व्यक्ति में साहस, बुद्धि और पुरुषार्थ की वृद्धि होती है।

यह भी पढ़ें – मंगलवार व्रत उद्यापन विधि ।

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