इस post में k se gya tak यानि क से ज्ञ तक वर्णमाला हिन्दी और इंग्लिश दोनों भाषाओं में पढ़ेंगे। हिन्दू वर्णमाला में क से ज्ञ तक 36 अक्षर होते हैं। ये 36 अक्षर व्यंजन कहलाते हैं। व्यंजन हिन्दी वर्णमाला के वे वर्ण हैं जिनको बोलते समय स्वरों की सहायता लेनी पड़ती हैं । व्यंजनों की दूसरी परिभाषा ” व्यंजन वे वर्ण है जिनको बोलते समय हमारा साँस कम से कम एक बार बाधित जरूर होता है। यानि जब हम व्यंजन बोलेंगे तो हवा हमारे मुंह में जरूर टकराएगी। “
बच्चे चित्रों के साथ जल्दी समझते हैं इसलिए हमने इस पोस्ट में क से ज्ञ तक सारें वीणजों को चार्ट बनाकर चित्रों सहित समझाया है।
क से ज्ञ तक वर्णमाला हिन्दी k se gya tak
नीचे दी गई सारणी में क से ज्ञ तक सारे अक्षर हिन्दी और इंग्लिश में दिए गए हैं। सामान्यतया छोटी कक्षाओं में बच्चों को यही 36 व्यंजन पढ़ाएं जाते हैं। इसके अलावा उच्च कक्षाओं में संयुक्त और अतिरिक्त व्यंजन भी पढ़ाए जाते हैं। अगर आप सारे व्यंजन जानना चाहते हैं हमारी पोस्ट में अंत में विस्तृत विवरण दिया गया है। वरना आप छोटी कक्षाओं के अनुसार क से ज्ञ तक वर्णमाला चार्ट pdf और images डाउनलोड कर सकते हैं।
क ka | ख kha | ग ga | घ gha | ङ na |
च cha | छ chha | ज ja | झ jha | ञ na |
ट ta | ठ tha | ड da | ढ dha | ण na |
त ta | थ tha | द da | ध dha | न na |
प pa | फ pha | ब ba | भ bha | म ma |
य ya | र ra | ल la | व va/wa | |
श sha | ष sha | स sa | ह ha | |
क्ष ksha | त्र tra | ज्ञ jna |
क से ज्ञ तक वर्णमाला चित्र सहित
नीचे दिए गए चित्र में क से ज्ञ तक हिन्दी वर्णमाला को चित्र सहित समझाया गया है। हर अक्षर से बनने वाला कोई एक सरल शब्द और उसका चित्र दर्शाया गया है जिससे बच्चों को समझने में सहायता हो और उनका पढ़ने में मन भी लगा रहे। जैसे क अक्षर से कबूतर शब्द बड़ी आसानी से बच्चा समझ सकता है और उसका चित्र देखकर जान सकता है की कबूतर होता क्या है।
अ से अः तक चित्र सहित a se ang tak chitra sahit
हिन्दी वर्णमाला में अ से अः 13 स्वर हैं जिनमे 2 स्वर अलग हैं जिन्हे क्रमश अनुस्वार और विसर्ग कहा जाता है।
स्वर :- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ (11 स्वर )
अनुस्वार और विसर्ग :- अं, अः (2 स्वर )
हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन PDF Download
अगर आप बच्चों को सिखाने के लिए हिन्दी वर्णमाला का चार्ट pdf में डाउनलोड करना चाहते हैं तो हमने आपके लिए वो भी उपलब्ध कराया है। नीचे के लिंक से आप हिंदी वर्णमाला स्वर और व्यंजन PDF Download कर सकते हैं।
यह भी पढे :- महीनों के नाम हिन्दी और इंग्लिश में ।
हिन्दी वर्णमाला एक विस्तृत परिचय
अगर आप छोटी कक्षयाओं के लिए हिन्दी वर्णमाला डाउनलोड करना चाहते हैं तो ऊपर image और pdf रूप में डाउनलोड कर सकते हैं । लेकिन आप हिन्दी वर्णमाला को और अधिक गहनता से पढ़ना चाहते हैं तो यह post पढ़ते रहिए।
हिन्दी वर्णमाला को 2 भागों में बाँटा गया है, स्वर और व्यंजन ।
स्वर
हिन्दी वर्णमाला में 13 स्वर हैं जिनमे 2 स्वर अलग हैं जिन्हे क्रमश अनुस्वार और विसर्ग कहा जाता है।
स्वर :- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ (11 स्वर )
अनुस्वार और विसर्ग :- अं, अः (2 स्वर )
व्यंजन
हिन्दी वर्णमाला के वे वर्ण जिनको बोलते समय स्वरों की सहायता लेनी पड़े व्यंजन कहलाते हैं। यानि व्यंजन का उच्चारण स्वतंत्र नहीं होता,किसी भी व्यंजन को बोलते समय स्वर की ध्वनि अवश्य निकलेगी। हिन्दी वर्णमाला में कुल 39 व्यंजन (33 मूल व्यंजन, 4 संयुक्त व्यंजन और 2 अतिरिक्त व्यंजन )हैं। जिन्हे तीन भागों में बाँटा गया है।
मूल व्यंजन
हिन्दी भाषा में निम्न 33 मूल व्यंजन हैं ।
क ख ग घ ङ
च छ ज झ ञ
ट ठ ड ढ ण
त थ द ध न
प फ ब भ म
य र ल व
श ष स ह
संयुक्त व्यंजन
हिन्दी भाषा में 4 संयुक्त व्यंजन हैं। संयुक्त व्यंजन दो व्यंजनों के योग से बनते हैं।
क्ष ( क् और ष ) | त्र ( त् और र ) | ज्ञ ( ज् और ञ) | श्र ( श्+र ) |
अतिरिक्त व्यंजन
हिन्दी भाषा में 2 अतिरिक्त व्यंजन हैं। ये दोनों व्यंजन मूल व्यंजन ड और ढ के नीचे बिन्दु लगाने से बनते हैं। अतिरिक्त व्यंजन का उच्चारण करते समय हमारी जीभ को थोड़ा ज्यादा जोर पड़ता है और जीभ ऊपर की तरफ गोल मुड़कर तालु से टकराकर झटके से बाहर आती है।
ड़ | ढ़ |
अतिरिक्त व्यंजनों के एक और विशेषता है की हिन्दू भाषा में कोई भी शब्द अतिरिक्त व्यंजन से शुरू नहीं होता। अतिरिक्त व्यंजन हमेशा शब्द के बीच में आते हैं, शब्द से शुरुवात में नहीं। जैसे गाढ़ा ,बढ़ना , कढ़ाई, बूढ़ा, घड़ी, कपड़ा,जड़, पहाड़ आदि ।
वर्ण क्रम :- शब्दकोश में वर्णों का क्रम
सामान्य बोलने और याद करने में वर्णों को हम ऊपर बताए गए चार्ट के अनुसार याद करते हैं लेकिन जब शब्द कोश की बात आती है तो वर्णों का क्रम अलग देखने को मिलता है। तो आइए जानते हैं हिन्दी वर्णमाला के स्वर और व्यंजन शब्दकोश में कैसे व्यवस्थित होते हैं।
स्वरों का शब्दकोश क्रम :-
अं | अँ | अः | अ | आ | इ | ई | उ | ऊ | ऋ | ए | ऐ | ओ | औ |
व्यंजनों का शब्दकोश क्रम :-
क | क्ष | ख | ग | घ | ङ | |
च | छ | ज | ज्ञ | झ | ञ | |
ट | ठ | ड | ड़ | ढ | ढ़ | ण |
त | त्र | थ | द | ध | न | |
प | फ | ब | भ | म | ||
य | र | ल | व | |||
श | श्र | ष | स | ह |
व्यंजनों के भेद यानि प्रकार
हिन्दी भाषा में व्यंजनों को कई प्रकार से विभाजित करके अलग अलग श्रेणियों में रखा गया है। तो आइए एक एक करने इन सब श्रेणियों को जानने का प्रयत्न करते हैं।
उच्चारण के स्थान के आधार पर
जब हम कोई भी व्यंजन को बोलते हैं तो हमारे मुख के किसी ना किसी भाग पर ज्यादा जोर पड़ता है और किसी भाग पर कम जोर पड़ता है। किसी व्यंजन को बोलते समय जीभ का प्रयोग ज्यादा होता है तो किसी को बोलते समय कंठो पर ज्यादा जोर पड़ता है। इसी तरह मुख के भाग जैसे जीभ, होठ, कंठ और नाक आदि वर्णों के उच्चारण स्थल होते हैं । जिस व्यंजन को बोलते समय जिस उच्चारण स्थल पर सबसे ज्यादा जोर पड़ेगा उसे उसी category में रखा जाएगा। हमारे मुख में मुख्यतः 6 उच्चरण स्थल होते हैं। कंठ, नाक, दांत, होठ, मूर्धा, और तालु। हमारे मुख का ऊपरी भाग तालु कहलाता है और तालु का ऊपरी दांतों की तरफ का आगे का भाग मूर्धा कहलाता है।
- कंठ्य :- जिन व्यंजनों को बोलते समय ध्वनि गले से निकलती है। (क, ख, ग, घ, ङ)
- तालव्य :- जिन व्यंजनों को बोलते समय ध्वनि कठोर तालु से निकलती है। (च, छ, ज, झ, ञ, य, श)
- मूर्धन्य :- जिन व्यंजनों को बोलते समय ध्वनि कठोर तालु के अगले भाग यानि मूर्धा से निकलती है। ( ट, ठ, ड, ढ, ण, ड़, ढ़, ष)
- दंत्य :- जिन व्यंजनों को बोलते समय ध्वनि दांतों से निकलती है। ( त, थ, द, ध, न)
- वर्त्सय :- जिन व्यंजनों को बोलते समय ध्वनि दांतों के निचले भाग से निकलती है। (स, ज, र, ल)
- ओष्ठय :- जिन व्यंजनों को बोलते समय ध्वनि दांतों के निचले भाग से निकलती है। यानि दोनों होठ आपस में स्पर्श होते हैं। (प, फ, ब, भ, म)
- दंतौष्ठय :- जिन व्यंजनों को बोलते समय ध्वनि निचले होंठ व ऊपरी दाँतों से निकलती है। (व, फ)
- स्वर यंत्र :- जिन व्यंजनों को बोलते समय ध्वनि स्वर यंत्र से निकलती है। ( य )
बोलते समय गले में कम्पन्न के आधार पर
व्यंजनों को बोलते समय उच्चारण स्थल के आधार पर विभाजित करने के बाद अब जानते हैं व्यंजन बोलते समय हमारे स्वर तंत्रियों यानि हमारे गले की क्या भूमिका होती है। इस आधार पर भी स्वरों को 2 भागों में बाँटा गया है।
- घोष या संघोष :- जिन वर्णों को बोलते समय स्वर तंत्रियों में कम्पन्न होता है, यानि हमारे गले में हल्की गुंजन होती है।, उन व्यंजनों को घोष या संघोष श्रेणी में रखा जाता है।
- अघोष :-जिन व्यंजनों को बोलते समय स्वर तंत्रियों में कम्पन्न नहीं होता है उन स्वरों को अघोष श्रेणी में रखा जाता है। अर्थात अघोष व्यंजनों को बोलते समय हमारे गले में कोई गुंजन या कंपन नहीं होता है।
अघोष व्यंजन | घोष व्यंजन |
क, ख | ग , घ , ङ |
च ,छ | ज, झ, ञ |
ट , ठ | ड, ढ, ण, ड़, ढ़ |
त , थ | द, ध, न |
प, फ | ब, भ, म |
श , ष, स | य, र, ल, व, ह |
बोलते समय वायु प्रक्षेप आधार पर
किसी व्यंजन को बोलते समय हमें मुख से कितनी वायु छोड़नी पड़ती है उस आधार पर भी व्यंजनों को 2 भागों में बंता गया है।
- अल्पप्राण :- जिन व्यंजनों को बोलते समय अपेक्षाकृत हमें मुख से कम हवा निकालनी पड़ती है उन्हे अल्पप्राण व्यंजन कहते हैं। चूंकि अल्पप्राण व्यंजओ को बोलने में हमें मुख से कम हवा छोड़नी पड़ती है इसलिए हमें कम जोर आता है। इसलिए अल्पप्राण व्यंजनों को बोलने में हमें महाप्राण व्यंजनों की तुलना में कम समय लगता है। हिन्दी वर्णमाला की प्रत्येक पंक्ति का पहला तीसरा और पाँचवाँ व्यंजन अल्पप्राण व्यंजन होता है। इनकी संख्या 20 होती है।
- महाप्राण :-जिन व्यंजनों को बोलते समय हमें अपलप्रण व्यंजनों की अपेक्षा ज्यादा वायु मुख से निकालनी पड़ती है उन्हे महाप्राण व्यंजन कहते हैं। हिन्दी वर्णमाला की प्रत्येक पंक्ति का दूसरा और चौथा व्यंजन पूर्णप्राण व्यंजन होता है। इनकी संख्या 15 है।
अल्पप्राण | महाप्राण |
क, ग, ङ, ड़ | ख, घ |
च, ज, ञ | छ, झ |
ट, ड,ण | ठ, ढ, ढ़ |
त, द,न | थ, ध |
प, ब,म | फ, भ, |
य र ल व | श ष स ह |
अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
हिन्दी वर्णमाला में कितने वर्ण होते है
हिन्दी वर्णमाला में 52 वर्ण होते हैं। जिसमे 13 स्वर, 39 व्यंजन हैं। हालांकि हिन्दी पाठ्यक्रम की छोटी कक्षाओं में हिन्दी वर्णमाला में 49 वर्ण बताए गए है जबकि उच्च कक्षाओं में आधिकारिक तौर पर वर्णों की संख्या को 52 बताया गया है।
हिंदी वर्णमाला में कितने व्यंजन होते हैं
हिन्दी वर्णमाला में 39 व्यंजन होते हैं। 33 मूल व्यंजन, 4 संयुक्त व्यंजन और 2 अतिरिक्त व्यंजन । इनका विस्तृत विवरण ऊपर दिया गया है।
हिंदी वर्णमाला में कितने स्वर होते हैं
हिन्दी वर्णमाला में 13 स्वर होते हैं। जो हैं अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं , अः। अंतिम 2 स्वर अं को अनुस्वार और अः को विसर्ग कहते हैं।
केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण केंद्र के अनुसार हिन्दी में 13 स्वर होते हैं।